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हिंदू, सिख या ईसाई नहीं... दुनिया में आ गया है नया धर्म 'अब्राहम', समझिए इसकी पूरी कहानी

Abraham Religion: मुस्लिम जगत में एक नया धर्म अस्तित्व में आया है. इसको लेकर धार्मिक मामलों के जानकार अलग-अलग तरह की प्रतिक्रयाएं दे रहे हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं.

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Abraham Religion: मुस्लिम जगत अरब में अब एक नया धर्म अस्तित्व में आया है. इसे अब्राहम के नाम से जाना जा रहा है. यह दुनिया का सबसे नया धर्म है. इसको लेकर पूरी दुनिया में लंबे समय से बहस चल रही थी. धार्मिक मामलों के जानकारों का मानना है कि यह सिर्फ एक धार्मिक प्रोजेक्ट की तरह है. इसका लक्ष्य इस्लाम, ईसाई, और यहूदी धर्म के बीच मौजूद समानता के कारण उनके बीच की दूरी और मतभेदों को दूर करना है. वास्तव में इन्हीं तीन धर्मों को अब्राहमी धर्म की श्रेणी में रखा जाता है. आइए इसके बारे में जानने और समझने की कोशिश करते हैं.

वास्तव में धर्म क्या है ? 

प्राचीन भारतीय शास्त्रों में उल्लेख किया गया है  धरणात इति धर्म:  अर्थात धर्म वही है जिसे धारण किया जा सके. साफ शब्दों में कहा जाए तो मानव के लिए धर्म वही है जो उसके लिए वास्तव में सही और उचित है. सही और गलत कामों के बीच अंतर करना और संयमित जीवन जीना ही धर्म है. मानव की उत्पत्ति के समय जगत में किसी प्रकार का कोई धर्म नहीं था. समय बीतने के साथ-साथ जैसे-जैसे मानव सभ्यताओं का विकास होता गया धार्मिक संकल्पनाएं नए रूप में आती रहीं और मनुष्य उन्हें अपनाता रहा. 

क्या है धर्म का उद्देश्य? 

धर्म का मतलब पूरी तरह से परोपकार और मानवता की सेवा करने से जुड़ा है. धर्म की संकल्पना इसलिए आई कि मानव को बुरे कामों से दूर रखा जा सके. आज पूरी दुनिया में अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग हैं. भारत में कई धर्म और संप्रदायों को मानने वाले अनुयायी रहते हैं. धर्म में आडंबरों को दूर करने के लिए समय-समय पर अलग धर्माचार्य हुए जिन्होंने समय के हिसाब से धार्मिक टीका टिप्पणियां की और मानव जाति के कल्याण के लिए लोगों का नेतृत्व किया. 

अब्राहम का धर्मग्रंथ 

किसी समाज में धर्म की स्थापना करने के लिए ऐसे विचार और मान्यताओं की जरूरत होती है जिसे लोग मानें और उसे अपनाएं. इसके लिए धर्म की भाषा और उसकी रचनाओं का प्रचार प्रसार करना भी आवश्यक तत्व है. धर्म ऐसा होना चाहिए जो सर्वस्वीकार्य हो. ऐसा होने पर ही समाज में नए धर्म की स्थापना हो पाती है. जहां तक बात अब्राहम या इब्राहिम धर्म की बात है इसे बनाने के पीछे का उद्देश्य यही है कि पूरी दुनिया में शांति स्थापित हो सके. इसका कोई अपना धर्मग्रंथ भी नहीं है और न ही इसके मानने वाले लोग.