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Pongal 2025: 4 दिन धूमधाम से मनाया जाता है पोंगल, सूर्य देवता और प्रकृति होती है पूजा, जानें खास त्योहार का इतिहास और महत्व

Pongal 2025 Importance: पोंगल का त्योहार 14 जनवरी 2025 से 17 जनवरी 2025 तक मनाया जाएगा. यह चार दिनों का खास त्योहार है और हर दिन का अपना अलग महत्व है. आइए जानें पोंगल के चारों दिनों के बारे में और इसे कैसे मनाया जाता है.

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Edited By: Princy Sharma
Pongal 2025
Courtesy: Pinterest

Pongal 2025: पोंगल, तमिलनाडु का सबसे प्रमुख और खास त्योहार है. इस त्योहार को सूर्य देवता, प्रकृति और खेती में मदद करने वाले पशुओं के सम्मान में मनाया जाता है. यह चार दिन का त्योहार होता है. इसे पूरा परिवार खुशी के मनाते हैं. यह समृद्धि और परंपराओं का प्रतीक माना जाता है. 

पोंगल 2025 की शुरुआत आज, 14 जनवरी, मंगलवार से होगी और यह 17 जनवरी, शुक्रवार तक चलेगा. इस त्योहार की शुरुआत तमिल कैलेंडर के शुभ महीने ‘थाई’ से होती है. यह त्योहार मकर संक्रांति और लोहड़ी की तरह ही फसल कटाई के समय मनाया जाता है. 

पोंगल का इतिहास और महत्व

पोंगल का इतिहास बहुत पुराना है. इसे चोल साम्राज्य के समय से मनाया जाता है. इस दिन लोग सूर्य देवता और प्रकृति का आभार व्यक्त करते हैं. तमिल में पोंगल का मतलब 'उबालना' है. इस दिन खास पकवान, मीठे चावल, का प्रसाद बनाया जाता है.  पोंगल त्योहार के समय लोग एकत्र होते हैं, पूजा करते हैं और एक-दूसरे के साथ भोजन बांटते हैं. चलिए जानते हैं पोंगल के चार खास दिन और उनकी परंपराओं के बारे में. 

भोगी पोंगल (14 जनवरी, मंगलवार) 

पोंगल के पहले दिन को ‘भोगी’ कहा जाता है, जो नई शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन लोग अपने घर की सफाई करते हैं और पुराने सामान जलाकर नकारात्मकता को दूर करते हैं. लोग घर को सजाते हैं और भगवान इंद्र से अच्छी बारिश की प्रार्थना करते हैं. परिवार के लोग इकट्ठा होकर मिठाई और फलों का आनंद लेते हैं. 

सूर्य पोंगल (15 जनवरी, बुधवार)

पोंगल के दूसरे दिन ‘सूर्य पोंगल’  का त्योहार मनाया जाता है. यह सबसे खास दिन है. इस दिन सभी लोग सूर्य देवता की पूजा करते हैं. दूसरे दिन मिट्टी के बर्तन में गुड़ और चावल से खास पकवान ‘पोंगल’ मनाया जाता है. पकवान को सूर्य की ओर रखकर 'पोंगलो पोंगल' कहते हुए प्रार्थना की जाती है. खेतों में उगाई गई गन्ने से पूजा की जाती है. 

मट्टू पोंगल (16 जनवरी, गुरुवार)

मट्टू पोंगल खेती में मदद करने वाले पशुओं, खासकर गाय और बैल को समर्पित है. इस दिन पशुओं को स्नान कराकर फूलों से सजाया जाता है. उन्हें मिठाई और फल खिलाए जाते हैं. तमिलनाडु में पारंपरिक खेल ‘जल्लीकट्टू’ का आयोजन भी होता है

कानुम पोंगल (17 जनवरी, शुक्रवार)

यह त्योहार का चौथा और आखिरी दिन है, जो परिवार और सामाजिक मेलजोल के लिए खास है. परिवार के सदस्य एक-दूसरे से मिलने जाते हैं और बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया जाता है. इस दिन पारंपरिक भोजन और गन्ने का आनंद लिया जाता है.

यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.   theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.