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महाकुंभ 2025 में 144 साल बाद बन रहा समुद्र मंथन जैसा दुर्लभ संयोग, सूर्य, चंद्र और शनि तीनों ग्रह मकर राशि में कर रहे भ्रमण

महाकुंभ 2025 में इस बार 144 साल बाद समुद्र मंथन जैसा दुर्लभ संयोग बन रहा है. अद्भुत खगोलीय घटना के साथ ही बुध, सूर्य, कुंभ और श्रवण नक्षत्र के साथ ही सिद्धि योग बन रहा है. इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और शनि तीनों ग्रह मकर और कुंभ राशि में भ्रमण कर रहे हैं. ऐसा ही संयोग देवासुर संग्राम के समय बना था.

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
MahaKumbh 2025
Courtesy: x

MahaKumbh 2025: महाकुंभ 2025 का आयोजन हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक मेलों में से एक है. इस बार यह मेला एक ऐतिहासिक और दुर्लभ खगोलीय संयोग के कारण विशेष महत्व रखता है. 144 वर्षों बाद, सूर्य, चंद्रमा और शनि ग्रह तीनों एक साथ मकर राशि में विचरण कर रहे हैं, जिसे समुद्र मंथन जैसे दुर्लभ और शुभ संयोग के रूप में देखा जा रहा है. इस खगोलीय घटना को लेकर देशभर में श्रद्धालुओं और ज्योतिषियों के बीच उत्साह और जिज्ञासा का माहौल बना हुआ है.

समुद्र मंथन एक पौराणिक घटना है, जिसमें देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र से अमृत प्राप्त किया था. इसे शक्ति, समृद्धि, और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है. इसी प्रकार, जब सूर्य, चंद्र और शनि जैसे महत्वपूर्ण ग्रह एक साथ एक राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे एक विशेष और शक्तिशाली संयोग माना जाता है. इस संयोग को समुद्र मंथन जैसा माना जा रहा है, क्योंकि यह समय आत्मशुद्धि, आध्यात्मिक उत्थान और दिव्य आशीर्वाद प्राप्ति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.

खगोलीय संयोग का महत्व

सूर्य, चंद्र और शनि का एक साथ मकर राशि में प्रवेश करना एक दुर्लभ खगोलीय घटना है. मकर राशि को शनि की राशि माना जाता है, और सूर्य और चंद्र का मकर में होना इसे एक शक्तिशाली योग बनाता है. ज्योतिषियों के अनुसार, यह संयोग मानसिक शांति, सफलता और जीवन में नकारात्मकताओं को दूर करने का अवसर प्रदान करता है. विशेष रूप से महाकुंभ जैसे अवसर पर, यह संयोग भक्तों के लिए आत्मिक उन्नति और पुण्य अर्जन का सर्वोत्तम समय होगा.

महाकुंभ का ऐतिहासिक संदर्भ

महाकुंभ मेला, जिसे हर बार चार प्रमुख स्थानों- प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है. यह हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है. यह मेला प्रत्येक 12 साल में एक बार होता है, लेकिन जब विशेष ग्रह संयोग होते हैं, तो इसे और भी विशेष माना जाता है. इस बार महाकुंभ के समय इस खगोलीय संयोग के साथ मेला और भी महत्वपूर्ण हो गया है.

श्रद्धालुओं के लिए संदेश

इस बार महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुनाजी, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए एकत्रित होंगे. उन्हें इस खगोलीय संयोग का लाभ उठाने के लिए ध्यान और साधना के साथ आस्थावान रूप से अपने पापों को धोने का अवसर मिलेगा. धार्मिक गुरु और साधु संत इस दौरान विशेष मंत्रों और साधना विधियों का आयोजन करेंगे, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और मानसिक बल प्रदान करेंगे.

आध्यात्मिक यात्रा की होगी शुरुआत

ज्योतिषियों का मानना है कि यह समय अपने जीवन में सुधार लाने, आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर चलने और सकारात्मक बदलाव लाने का सर्वोत्तम अवसर है. इस मौके पर भगवान के प्रति आस्था और विश्वास से भरे श्रद्धालु अपनी आध्यात्मिक यात्रा में नए मोड़ और समृद्धि का अनुभव करेंगे. महाकुंभ 2025 में यह खगोलीय संयोग न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समय उन सभी के लिए है जो अपने जीवन में संतुलन, शांति और सफलता चाहते हैं. 144 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बनने के कारण यह महाकुंभ मेला एक ऐतिहासिक और अविस्मरणीय अवसर बनेगा.