रामनवमी के मौके पर पश्चिम बंगाल में हिंसक घटनाएं हुई हैं. हर साल अलग-अलग राज्यों में त्योहारों के दौरान निकलने वाले धार्मिक जुलूसों को लेकर अक्सर बवाल होते रहे हैं. ऐसे में कर्नाटक के इस मंदिर के बारे में बात करना बेहद जरूरी है. यह सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि आपसी सौहार्द की सच्ची मिसाल है. यह ऐसा मंदिर है जहां हिंदुओं से ज्यादा मुसलमान बजरंगबली की पूजा करते हैं. सैकड़ों साल से चली आ रही यह परंपरा आज भी उस भयावह घटना की याद दिलाती है जिसके चलते यह सब शुरू हुआ और इतने दशक बीत जाने के बाद भी जारी है. आज भी यहां के मुसलमान इस हनुमान मंदिर में पूजा करते हैं.
यह मंदिर कर्नाटक के गडग जिले के लक्ष्मेश्वर के पास है. यहां के कोरीकोप्पा गांव में घुसने से ठीक पहले यह हनुमान मंदिर मिलता है. इस मंदिर में पूजा करने वाले लोगों से पुजारी तक सब मुस्लिम ही हैं. हर दिन यहां पूजा और आरती होती है और प्रसाद भी बांटा जाता है. दरअसल, यह परंपरा लगभग 150 साल पहले शुरू हुई थी और यहां के मुस्लिमों ने इस परंपरा को आज भी नहीं छोड़ा.
यहां के लोग बताते हैं कि हैजा और प्लेग जैसी बीमारियां फैलने के गांव के ज्यादातर लोग गांव छोड़कर चले गए थे. पास के बदनी गांव के मुस्लिम परिवारों ने यह हाल देखा और मंदिर को वीरान पाया तो वही इसमें पूजा करने लगे. समय बीतने के साथ मुस्लिमों ने मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया और पूजा को बंद नहीं होने दिया. अब हर धर्म के लोग यहां पूजा करने आते हैं और इस सद्भाव की मिसाल देते हैं.
लक्ष्मेश्वर के लोग बताते हैं कि हर शनिवार और मंगलवार को यहां हर धर्म के लोग इकट्ठा होते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं. यहां के लोग भी आपस में बेहद प्यार से रहते हैं और आज तक कभी किसी तरह का सांप्रदायिक विवाद नहीं देखा गया. इस मंदिर में आज भी मुस्लिमों के प्रवेश पर किसी तरह की रोकटोक नहीं है.