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अपने शिष्य की नजर से बचने के लिए हाथी बन गए थे भोलेनाथ, लौटे तो बना दिया 'न्यायाधीश'

Epic Story: देवों के देव महादेव को भी एक बार अपने शिष्य के प्रकोप को झेलना पड़ गया था. इसके कारण उन्हें देव योनि से पशु योनि में जाना पड़ा था, जिसके बाद उन्होंने अपने शिष्य को न्यायाधीश का पद दे दिया. 

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Epic Story: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक बार भगवान भोलेनाथा को देव योनि छोड़कर पशु योनि में जाना पड़ गया था. इसका कारण कोई और नहीं बल्कि उनका शिष्य ही था. उनके शिष्य का प्रकोप उन पर था, जिस कारण उनको हाथी बनकर वन में भटकना पड़ा था. उनके ये शिष्य कोई और नहीं बल्कि शनिदेव ही थे. ज्योतिष में शनिदेव को कर्मफलदाता और न्यायाधीश माना जाता है. शनि व्यक्ति के कर्मों का हिसाब-किताब करते हैं. उनको न्यायाधीश का पद मिलने के पीछे एक कथा प्रचलित है. 

शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं. इनका वर्ण कृष्ण है और ये कौए की सवारी करते हैं. शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के भक्त हैं. शनिदेव को उनकी पत्नी ने श्राप दिया था कि उनकी दृष्टि जिसपर भी पड़ेगी उसके जीवन में अशुभ काल की शुरुआत हो जाएगी. शनिदेव भगवान शिव के शिष्य कहे जाते हैं. 

महादेव पर पड़ी शनि की दृष्टि

शनिदेव भगवान शिव के शिष्य हैं. एक बार वे अपने गुरु भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि हे प्रभु मैं अगले दिन आपकी राशि में प्रवेश करूंगा, जिससे आपपर मेरी वक्रदृष्टि रहेगी. शनिदेव की बात को सुनते ही भगवान शिव आश्चर्य में पड़ गए और उन्होंने शनिदेव से पूछा कि तुम्हारी वक्रदृष्टि मुझपर कितनी देर तक रहेगी. इसपर शनिदेव ने बताया कि आपकी राशि में तीन प्रहर तक मेरी वक्रदृष्टि रहेगी. 

अगले दिन भगवान शिव ने शनि की वक्रदृष्टि से बचने के लिए कोकिला वन में हाथी का रूप धारण कर लिया और विचरण करने लगे. जब तीन प्रहर बीत गए तो वे कैलाश वापस आ गए. कैलाश पर शनिदेव उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे. जब वे वापस आए तो उन्होंने शनिदेव से कहा कि मैं तुम्हारी दृष्टि से पूरे दिन सुरक्षित रहा, तुम्हारी वक्रदृष्टि का प्रभाव मुझपर नहीं पड़ा. यह सुनकर शनिदेव मुस्कुराए और बोले कि प्रभु मेरी दृष्टि से आजतक कोई भी नहीं बच पाया है. आज भी पूरे दिन आपपर मेरी दृष्टि का प्रभाव रहा. 

शनिदेव की बातों को सुनकर भगवान शिव आश्चर्य में पड़ गए और उन्होंने शनिदेव से पूछा कि तुम्हारी वक्रदृष्टि मुझपर कैसे पड़ी. इस पर शनिदेव ने बताया कि मेरी ही वक्रदृष्टि के कारण आपको आज देवयोनि से पशु योनि में जाना पड़ गया. इस प्रकार आप मेरी वक्रदृष्टि का पात्र बन गए. 

न्यायाधीश का दिया पद

भगवान शिव इस बात पर शनिदेव से प्रसन्न हुए और उन्होंने उनको दंडाधिकारी नियुक्त कर दिया. इसके साथ ही कहा कि तुम्हारे पास दुनिया के हर व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा रहेगा. तुम उनको उनके कर्मों के अनुसार फल दोगे. पृथ्वी के निवासियों के लिए तुम न्यायाधीश की भूमिका निभाओगे. 

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