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नारियल में क्यों होते हैं तीन निशान, जानें क्या है इसका धार्मिक महत्व?

Story Of Coconut: हिंदू धर्म में अधिकतर पूजा-पाठ में नारियल का इस्तेमाल होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नारियल की उत्पत्ति कैसे हुई है अगर नहीं तो आइए जानते हैं कि नारियल धरती पर कैसे आया. 

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Courtesy: pexels

Story Of Coconut: हिंदू धर्म में नारियल को काफी शुभ माना गया है. इसे लोग श्रीफल के नाम से भी जानते हैं. हर शुभ कार्य से पहले नारियल फोड़ा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीहरि विष्णु जब माता पार्वती के साथ धरती पर आए थे, तो माता लक्ष्मी कामधेनु गाय और नारियल के वृक्ष को अपने साथ लाई थीं. नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास भी माना गया है. इस पर बने तीन निशान को कुछ लोग इन्हीं तीन देवों का निशान भी मानते हैं. 

एक मान्यता के अनुसार एक समय पर हिंदू धर्म में मनुष्यों और जानवरों की बलि देना काफी सामान्य सी बात थी. इसी परंपरा को रोकने के लिए नारियल चढ़ाना शुरू किया गया. नारियल को मनुष्य का स्वरूप माना गया है. नारियल की जटाएं बाल और उसका बाहरी भाग मनुष्य की खोपड़ी, उसका पानी खून समान माना गया है. इस कारण भी नारियल का प्रयोग पूजा-पाठ में किया जाने लगा. 

राजा सत्यव्रत से भी जुड़ी है कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में एक सत्यव्रत नामक राजा हुआ करता था. उनके राज्य में महर्षि विश्वामित्र रहते थे. एक बार वे तपस्या करने के लिए घर से काफी दूर निकल गए. ऐसे में उनका परिवार जंगल में भूखा-प्यासा भटक रहा था. उनके परिवार पर राजा सत्यव्रत की नजर पड़ी तो वे उनके परिवार को अपने दरबार में ले गए. इसके बाद उनकी खूब सेवा की. जब विश्वामित्र वापस आए तो उनके परिवार के सदस्यों ने उनको राजा द्वारा की गई सेवा के बारे में बताया. इस पर महर्षि विश्वामित्र राजा के दरबार पहुंचे और उनका धन्यवाद किया. राजा ने धन्यवाद की जगह उनसे एक वर देने का निवेदन किया. ऋषि ने राजा को आज्ञा दे दी. 

राजा ने ऋषि से कहा कि वे जीवित रहते हुए स्वर्ग जाना चाहते हैं. इस पर ऋषि विश्वामित्र ने अपने तपोबल के माध्यम से एक ऐसा मार्ग तैयार किया, जो  सीधे स्वर्ग की ओर जाता था. राजा उस मार्ग से स्वर्गलोक पहुंचे तो स्वर्गलोक के देवता इंद्र ने उनको नीचे धकेल दिया. धरती पर गिरते ही राजा ने यह पूरी घटना ऋषि विश्वामित्र का बताई.

इस पर ऋषि को क्रोध आ गया. ऋषि के क्रोध से बचने के लिए देवता उनसे बात करने आए और इस समस्या का हल निकाला गया. हल के तौर पर यह निर्णय लिया गया है कि धरती और स्वर्गलोक के बीच एक और स्वर्गलोक का निर्माण किया जाएगा. जब वह स्वर्ग लोक बना तो उसके धरती से एक खंभे से जोड़ा गया. माना जाता है कि बाद में वह खंभा नारियल के पेड़ का तना और राजा का सिर नारियल बन गया. इसी कारण नारियल मनुष्य की खोपड़ी की तरह ही लगता है. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.