Ganesh Chaturthi 2025: पूरे देश में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल यह त्योहार 27 सितंबर से शुरू होकर 6 सितंबर को खत्म होगा. गणपति बप्पा के इस त्योहार को लोग कई तरह से मनाते हैं, लेकिन उनके पसंदीदा व्यंजन के बिना यह त्योहार अधूरा माना जाता है.
भगवान गणेश को वैसे तो कई मीठे व्यंजन पसंद हैं, लेकिन मोदक उनका सबसे पसंदीदा व्यंजन है. यही वजह है कि गणेशोत्सव के दौरान उन्हें मोदक का भोग जरूर लगाया जाता है. मोदक के बिना यह त्योहार अधूरा माना जाता है और इसीलिए लोग भगवान कृष्ण को तरह-तरह के मोदक का भोग लगाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश चतुर्थी और मोदक का क्या संबंध है और यह मीठा व्यंजन बप्पा (भगवान गणेश की पसंदीदा मिठाई) को इतना प्रिय क्यों है? अगर नहीं, तो इस आर्टिकल में हम आपको गणपति बप्पा और मोदक के बीच का संबंध बताएंगे.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश वन में ऋषि अत्रि की पत्नी अनुसूया के घर गए. वहां पहुंचते ही भगवान शिव और गणेश को भूख लगी, जिसके बाद उन्होंने सभी के लिए भोजन की व्यवस्था की. भोजन करने के बाद देवी पार्वती और भगवान शिव तृप्त हो गए, लेकिन गणपति बप्पा का पेट किसी भी चीज से नहीं भरा. बप्पा की भूख मिटाने के लिए अनुसूया ने उन्हें हर तरह का भोजन खिलाया, लेकिन उनकी भूख नहीं मिटी.
जब सारा भोजन खाने के बाद भी भगवान गणेश तृप्त नहीं हुए, तो अनुसूया ने सोचा कि कुछ मीठा खाने से उनका पेट भर सकता है. तो फिर इस विचार को अमल में लाने का क्या मतलब था, उन्होंने गणेश को मिठाई का एक टुकड़ा दिया और जैसे ही उन्होंने उसे खाया, गणपति बप्पा ने डकार ली और उनकी भूख मिट गई. गणेश की भूख मिटते ही भगवान शिव ने भी 21 बार डकार ली और इस तरह दोनों एक साथ तृप्त हो गए.
जब माता पार्वती ने देवी अनुसूया से इस मिठाई के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि यह मोदक है. तभी से गणेश पूजा में मोदक चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई. यह प्रथा पृथ्वी पर प्रचलित हो गई और हर गणेश चतुर्थी पर गणेश जी को भोग के रूप में विभिन्न प्रकार के मोदक चढ़ाए जाने लगे. इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि मोदक अनादि काल से ही लोकप्रिय रहा है. इतना ही नहीं, धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में भगवान गणेश के चित्रों में उन्हें मोदक और लड्डू लिए हुए दिखाया गया है.
मोदक कई तरह से बनाया जाता है और इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. इसे तमिल में कोझकट्टई, कन्नड़ में मोदक या कडुबू और तेलुगु में कुडुमु भी कहा जाता है. वहीं, अगर इसके प्रकारों की बात करें तो वर्तमान में आप भगवान को तले हुए मोदक, केशर मोदक, मावा मोदक, चॉकलेट मोदक, फल मोदक आदि का भोग लगा सकते हैं.
यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.