उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते है कि उत्तराखंड मे वो कौन सा मंदिर है जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. वो मंदिर कहीं और नहीं बल्कि, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में त्रियुगी नारायण मंदिर में स्थित है. आज भी यहां हर साल हजारों लोग आकर विवाह करते हैं.
उत्तराखंड का त्रियुगीनारायण मंदिर ही वह पवित्र और विशेष पौराणिक मंदिर है. इस मंदिर के अंदर सदियों से अग्नि जल रही है. भगवान शिव और माता पार्वती जी ने इसी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था. त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में ही कहा जाता है कि यह भगवान शिव जी और माता पार्वती का शुभ विवाह स्थल है.
यहां शादी करने वाले जोड़े की संवर जाती है जिंदगी
उत्तराखंड के त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां शादी करने वाले जोड़े की जिंदगी संवर जाती है. इसी मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. आज भी इनकी शादी की निशानियां यहां मौजूद हैं. त्रियुगीनारायण मंदिर की एक खास विशेषता है, मंदिर के अंदर जलने वाली अग्नि जो सदियों से यहाँ जल रही है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव जी और देवी पार्वती जी ने इसी अग्नि को साक्षी मानकर विवाह रचाई थी. इसलिए इस जगह का नाम त्रियुगी पड़ गया जिसका मतलब है, अग्नि जो यहाँ तीन युगों से जल रही है.
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त्रियुगीनारायण मंदिर की है पौराणिक मान्यता
ऐसी मान्यता है कि त्रियुगीनारायण मंदिर में शिव पार्वती के विवाह में भगवान विष्णु ने पार्वती के भाई के रूप में सभी रस्मों का पालन किया था. जबकि ब्रह्मा इस विवाह में पुरोहित बने थे. उस समय सभी संत-मुनियों ने इस समारोह में भाग लिया था. विवाह स्थल के नियत स्थान को ब्रहम शिला कहा जाता है जो कि मंदिर के ठीक सामने स्थित है. इस मंदिर के महात्म्य का वर्णन स्थल पुराण में भी मिलता है.
देवभीमू त्रियुगीनारायण मंदिर ही वह पवित्र और विशेष पौराणिक मंदिर है। इस मंदिर के अंदर सदियों से अग्नि जल रही है। शिव-पार्वती जी ने इसी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था। यह स्थान रुद्रप्रयाग जिले का एक भाग है। त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में ही कहा जाता है कि यह भगवान शिव जी और माता पार्वती का शुभ विवाह स्थल है।
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