मुंबई के प्रसिद्ध लालबागचा राजा का पहला लुक रविवार 24 अगस्त, 2025 की शाम को अनावरण किया गया, जो गणेश चतुर्थी के आगमन से कुछ दिन पहले हुआ. यह प्रतिमा केवल एक मूर्ति नहीं, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था, कलात्मक निपुणता और मुंबई की जीवंत संस्कृति का प्रतीक है. हर साल लाखों भक्त यहां दर्शन के लिए उमड़ते हैं, और लालबागचा राजा का अनावरण गणेश चतुर्थी का प्रमुख आकर्षण होता है.
न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, लालबागचा राजा, लालबाग में पुटलाबाई चॉल में स्थित लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की प्रतिष्ठित गणेश प्रतिमा है, जिसकी स्थापना 1934 में हुई थी. पिछले आठ दशकों से कांबली परिवार इस प्रतिमा की देखभाल कर रहा है. बता दें कि, यह मंडल न केवल मुंबई, बल्कि पूरे भारत में अपनी भव्यता और भक्ति के लिए प्रसिद्ध है.
#WATCH | Mumbai, Maharashtra | First look of Lalbaugcha Raja unveiled ahead of Ganesh Chaturthi pic.twitter.com/JjjuW03eXR
— ANI (@ANI) August 24, 2025
जानिए गणेश चतुर्थी का क्या है महत्व!
गणेश चतुर्थी, हिंदू चंद्र-सौर कैलेंडर के भाद्रपद मास की चतुर्थी से शुरू होने वाला दस दिवसीय उत्सव है, जो इस साल 27 अगस्त से शुरू होगा. यह पर्व ‘चतुर्थी’ से शुरू होकर ‘अनंत चतुर्दशी’ पर समाप्त होता है. इस उत्सव को 'विनायक चतुर्थी' या 'विनायक चविथी' के नाम से भी जाना जाता है. इस उत्सव में गणेश जी को 'नई शुरुआत के देवता' और 'बाधाओं को दूर करने वाले' के साथ-साथ ज्ञान और बुद्धि के देवता के रूप में भी मनाया जाता है. मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में इस पर्व को भव्य उत्साह के साथ मनाया जाता है, जहां लाखों भक्त गणपति के आशीर्वाद के लिए मंडलों में एकत्र होते हैं.
गणेश उत्सव की क्या हैं परंपराएं!
इस उत्सव के लिए, लोग भगवान गणेश की मूर्तियों को अपने घरों में लाते हैं, उपवास रखते हैं, स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं और त्योहार के दौरान पंडालों में जाते हैं. पिछले एक दशक से, मुंबई का एक कारीगर चुपचाप भक्तों के गणेश चतुर्थी मनाने के तरीके में क्रांति ला रहा है. वह पारंपरिक मिट्टी या पॉप के बजाय इको-पेपर से गणपति की मूर्तियां बना रहा है.
पर्यावरण के अनुकूल गणपति मूर्तियां
पिछले एक दशक से, मुंबई के एक कारीगर ने गणेश चतुर्थी को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाया है. पारंपरिक मिट्टी या पीओपी के बजाय, वे इको-पेपर से गणपति मूर्तियां बनाते हैं. इन मूर्तियों के कई फायदे हैं: वे हल्की, टिकाऊ, पानी में आसानी से घुलनशील और पूरी तरह से पुनर्चक्रण योग्य हैं. कारीगर ने बताया, “हमारी पेपर गणपति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह ले जाने में आसान और पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है.”
इन मूर्तियों को कैल्शियम पाउडर, प्रोसेस्ड पेपर पल्प और लेयर्ड पेपर इंटीरियर्स के मिश्रण से बनाया जाता है, जो उन्हें मजबूत और आकर्षक बनाता है. विसर्जन के बाद, कृत्रिम तालाबों या घर पर विसर्जन करने पर ये मूर्तियां पूरी तरह से रिसाइकिल हो सकती हैं. जहां 2 फीट की पारंपरिक मिट्टी की मूर्ति का वजन 20 किलोग्राम हो सकता है, वहीं समान आकार की पेपर गणपति का वजन केवल 2.5-3 किलोग्राम होता है. कारीगर ने गर्व से कहा, “ये मूर्तियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जा रही हैं.” ये मूर्तियां लंबी दूरी की यात्रा और कूरियर के लिए भी बेहतर हैं.
नागपुर में उत्सव की होगी खास तैयारी
गणेश चतुर्थी से पहले, नागपुर का ऐतिहासिक चितार ओली बाजार एक जीवंत केंद्र में तब्दील हो गया है. यहां पीढ़ियों से मूर्ति बनाने वाले परिवार अपनी परंपरा को जारी रखते हुए खूबसूरत गणेश मूर्तियां बना रहे हैं. ऐसे में कारीगर दिन-रात मेहनत कर भक्तों के लिए भव्य मूर्तियां तैयार कर रहे हैं.
गणेश उत्सव के लिए रेलवे ने की विशेष व्यवस्था
भारतीय रेलवे ने 20 अगस्त को घोषणा की कि गणेश चतुर्थी के दौरान यात्रियों की सुविधा के लिए 21 अगस्त से 10 सितंबर तक 392 विशेष ट्रेन यात्राएं संचालित की जाएंगी. रेलवे ने अपने एक्स पोस्ट में कहा, “गणेश चतुर्थी के दौरान यात्रियों की सुविधा के लिए भारतीय रेलवे ने 392 ट्रेन यात्राओं की घोषणा की है.”
महाराष्ट्र का गौरव
जुलाई में, महाराष्ट्र सरकार ने सार्वजनिक गणेशोत्सव को “महाराष्ट्र राज्य उत्सव” घोषित किया है. सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने विधानसभा में कहा, “लोकमान्य तिलक ने 1893 में महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेशोत्सव की परंपरा शुरू की. यह उत्सव सामाजिक, राष्ट्रीय, स्वतंत्रता, आत्मसम्मान और भाषाई गौरव से गहराई से जुड़ा है. यह महाराष्ट्र के लिए गर्व और सम्मान की बात है.” उन्होंने जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस उत्सव के सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए तैयार है.