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आज देवउठनी एकादशी के दिन पढ़ें ये खास व्रत कथा, भगवान विष्णु प्रसन्न होकर बरसाएंगे आशीर्वाद!

कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहते हैं, जिसे देवोत्थान या प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं. दीपावली के बाद आने वाली इस तिथि पर भगवान श्री विष्णु योग निद्रा से जागृत होते हैं, जिससे शुभ कार्यों की शुरुआत होती है.

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Edited By: Princy Sharma
Dev uthani Ekadashi 2025 India Daily
Courtesy: Pinterest

नई दिल्ली: कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है, जिसे देवोत्थान या प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं. यह तिथि दीपावली के बाद आती है और इसे महत्व दिया जाता है. मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्री विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागृत होते हैं. यही कारण है कि इसे 'देवउठनी' एकादशी कहा जाता है. इस दिन से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है,

देवउठनी एकादशी की व्रत कथा बहुत ही रोचक और शिक्षाप्रद है. एक समय की बात है, एक राजा के राज्य में लोग एकादशी के दिन अन्न का सेवन नहीं करते थे और फलाहार करते थे. भगवान श्री विष्णु ने राजा की परीक्षा लेने के लिए एक सुंदरी का रूप धारण किया और वह सड़क पर बैठ गए. राजा जब उधर से निकला, तो उसने सुंदरी को देखा और उसकी सुंदरता से मोहित हो गया. सुंदरी ने राजा से कहा कि वह उसकी रानी बन सकती है, लेकिन इसके लिए राजा को पूरे राज्य का कार्यभार और अधिकार उसे सौंपना होगा.

मांस-मछली खाने के लिए कहा

राजा ने उसकी बात मान ली और अगले दिन एकादशी आने पर सुंदरी ने राजा से मांस-मछली खाने के लिए कहा. जब राजा ने इसे नकारा और कहा कि वह एकादशी के दिन केवल फलाहार करेगा, तो सुंदरी ने उसे धमकी दी कि अगर वह खाना नहीं खाता, तो वह बड़े राजकुमार का सिर काट देगी.

राजकुमार क्यों हुआ दुखी 

राजा घबराया और अपनी बड़ी रानी से इस बारे में सलाह ली. रानी ने कहा कि धर्म का पालन करना जरूरी है और राजकुमार का सिर देना तो कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन धर्म को छोड़ना जीवन का सबसे बड़ा पाप होगा. तभी राजकुमार आया और वह मां की आंखों में आंसू देखकर दुखी हुआ. राजकुमार ने कहा कि वह अपना सिर देने को तैयार है ताकि उसके पिता का धर्म बच सके.

भगवान श्री विष्णु ने बताया सच

राजा ने दुखी मन से राजकुमार का सिर देने को राजी हो गया. तभी, भगवान श्री विष्णु ने रानी के रूप में प्रकट होकर बताया कि यह सब उनकी परीक्षा थी और राजा सफल हुआ. भगवान ने राजा से वर मांगने को कहा, तो राजा ने कहा कि वह सिर्फ मोक्ष चाहते हैं. भगवान ने राजा की इच्छा पूरी की और उसे परमधाम भेज दिया. 

देवउठनी एकादशी का महत्व

देवउठनी एकादशी के दिन व्रत रखने और व्रत कथा का पाठ करने से व्यक्ति को कष्टों से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. जैसे राजा ने इस व्रत के द्वारा मोक्ष पाया, वैसे ही जो भी श्रद्धालु इस दिन व्रत करते हैं और कथा सुनते हैं, उन्हें जीवन के सभी दुखों से छुटकारा मिलता है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.