menu-icon
India Daily

उषा अर्घ्य के साथ ही खत्म हुआ महापर्व छठ, जानिए इस दिन क्या-क्या होता है

छठ पूजा का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही आज हो गया है. इस दिन व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत पूरा करते हैं और सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

auth-image
Edited By: Reepu Kumari
Chhath Puja concludes with Usha Arghya.
Courtesy: Pinterest

नई दिल्ली: छठ महापर्व का समापन उषा अर्घ्य के साथ ही आज हो गया है. अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, चारों ओर छठ गीतों की गूंज सुनाई देती है. यह दिन आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति का प्रतीक होता है.

उषा अर्घ्य के बाद व्रती अपने 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण करते हैं. व्रती सबसे पहले सूर्यदेव का धन्यवाद करते हैं और फिर प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस दिन का वातावरण पवित्रता, श्रद्धा और ऊर्जा से भरा होता है, जो छठ पर्व की महिमा को और बढ़ा देता है.

उषा अर्घ्य का क्या महत्व है?

उषा अर्घ्य छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है. इस समय व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं क्योंकि यह जीवन, ऊर्जा और नई शुरुआत का प्रतीक होता है. यह अर्घ्य सूर्यदेव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के साथ-साथ परिवार की समृद्धि और संतानों के स्वास्थ्य की कामना के लिए दिया जाता है.

उषा अर्घ्य देने का सही तरीका क्या है?

अर्घ्य देने से पहले व्रती घाट पर स्नान करते हैं और सूप में ठेकुआ, केला, नारियल, सिंघाड़ा जैसे प्रसाद सजाते हैं. फिर वे सूर्यदेव की ओर मुख करके जल से अर्घ्य देते हैं. इस दौरान छठ गीतों का गायन किया जाता है. अर्घ्य के बाद सूर्य की आरती की जाती है और पारंपरिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है.

छठ व्रत पारण कब और कैसे किया जाता है?

उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण करते हैं. पारण के दौरान पहले सूर्यदेव का धन्यवाद किया जाता है, फिर गुड़ का मीठा जल या नारियल पानी पीकर व्रत खोला जाता है. इसके बाद ठेकुआ और फलों का सेवन किया जाता है. यह प्रक्रिया अत्यंत सात्विक होती है और शरीर को संतुलित ऊर्जा प्रदान करती है.

इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है?

छठ पूजा प्रकृति और सूर्यदेव के प्रति आभार का पर्व है. यह पर्व उत्तर भारत में विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही भव्य तरीके से मनाया जाता है. इस दिन लोग नदियों, तालाबों और घाटों पर एकत्र होकर सूर्य की आराधना करते हैं.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.