अमरनाथ गुफा में छुपकर रहता है एक जोड़ा! अमरता का है वरदान, रहस्य से अब तक कई लोग अंजान
भक्तों की मान्यता है कि जो श्रद्धालु इस जोड़े को गुफा में देख लेता है, उसे स्वयं भोलेनाथ और माता पार्वती के दर्शन प्राप्त होते हैं. यह दर्शन मोक्ष का द्वार खोलते हैं और जीवनभर का पुण्य प्रदान करते हैं.

Amarnath yatra 2025: अमरनाथ गुफा लोगों के लिए एक धार्मिक स्थल ही नहीं है. बल्कि एक दिव्य रहस्य से भरी हुई जगह है. ये वही गुफा है जहां भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुनाया था. इसीलिए इसे अमरनाथ गुफा कहा जाता है. हर साल लाखों श्रद्धालु इस गुफा में प्राकृतिक रूप से बनने वाले हिम शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं, जिसे बाबा बर्फानी के नाम से जाना जाता है.
साल 2025 में अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 3 जुलाई, गुरुवार से हो चुकी है. पहला जत्था रवाना हो चुका है और भक्तों में भारी उत्साह देखा जा रहा है. मगर इस पवित्र यात्रा से जुड़ा एक और रहस्य है – गुफा में दिखाई देने वाला कबूतरों का एक जोड़ा, जो लोगों को चौंकाता है और जिसकी मान्यता बहुत अद्भुत है.
कब से कब तक होती है अमरनाथ यात्रा?
अमरनाथ यात्रा हर साल जुलाई के पहले सप्ताह से शुरू होती है और रक्षाबंधन के दिन समाप्त होती है. आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर यह यात्रा श्रावण मास भर चलती है. मान्यता है कि सावन पूर्णिमा के दिन शिवलिंग अपने पूर्ण स्वरूप में आता है.
कबूतरों के जोड़े का रहस्य
कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता पार्वती को अमरकथा सुना रहे थे, तो एक कबूतर का जोड़ा चुपके से यह कथा सुन रहा था. कथा के अनुसार, जो भी यह कथा पूरी सुन लेता है, उसे अमरता का वरदान मिल जाता है. इसलिए यह जोड़ा भी अमर हो गया.
भक्तों की मान्यता है कि जो श्रद्धालु इस जोड़े को गुफा में देख लेता है, उसे स्वयं भोलेनाथ और माता पार्वती के दर्शन प्राप्त होते हैं. यह दर्शन मोक्ष का द्वार खोलते हैं और जीवनभर का पुण्य प्रदान करते हैं.
अमरकथा की विशेषता
गुफा में भगवान शिव द्वारा सुनाई गई इस अमरकथा में न सिर्फ अमरता का रहस्य था, बल्कि अमरनाथ यात्रा के पूरे मार्ग का विवरण भी था. यही कारण है कि इस यात्रा को जीवन की सबसे पवित्र यात्राओं में गिना जाता है.