'भारतीयो, तुम्हारे समय का कोई मूल्य नहीं...', ट्रैफिक जाम से लेकर ट्रेन और फ्लाइट के लेट होने पर जापानी पर्यटक का तंज
सोशल मीडिया पर एक महिला का पोस्ट तेजी से वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने भारत में ट्रांसपोर्ट और यातायात की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित किया.
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एक महिला के पोस्ट ने तेजी से वायरल होकर भारत में यातायात और ट्रांसपोर्ट की समस्याओं पर नई बहस छेड़ दी है. अपने पोस्ट में उन्होंने बताया कि भारत में अगर ट्रेन 15 मिनट लेट चलती है तो इसे आम बात माना जाता है, जबकि जापान में 10 सेकंड की भी देरी पर आधिकारिक माफी दी जाती है. महिला ने सड़क परिवहन की चुनौतियों की ओर भी ध्यान दिलाया.
महिला ने लिखा कि भारत की सड़कों पर हर समय ट्रैफिक जाम रहता है. रैलियों, प्रदर्शन और हड़तालों के कारण रोजमर्रा की यात्रा लंबी और थकाऊ हो जाती है. उन्होंने तुलना करते हुए कहा, 'जापान में 10 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 12 मिनट में तय की जा सकती है.'
भारत में 25% फ्लाइट देरी का शिकार
वायु यात्रा के मामले में भी स्थिति अलग नहीं है. उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 25% उड़ानें देरी का शिकार होती हैं, जो देश में समयपालन की लगातार समस्याओं को उजागर करता है. सोशल मीडिया पर इस पोस्ट ने बड़ी संख्या में प्रतिक्रियाएं जुटाई. एक यूजर ने लिखा, 'भारत में ट्रेन लेट हो तो आप तीन दोस्त बना लेते हैं, समोसा खाते हैं और किसी गलत कोच में पहुंचकर खुश हो जाते हैं.'
कई यूजर ने किया रिएक्ट
एक अन्य यूजर ने कहा, 'एक समाज जो समय को गंभीरता से नहीं लेता, उसे उत्पादकता, तनाव और धीमी प्रगति के रूप में कीमत चुकानी पड़ती है.' तीसरे यूजर ने लिखा, 'जब अधिकांश भारतीय ‘चलता है’ मानसिकता रखते हैं, तो सरकार या कंपनियों को नियम मानने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. बदलाव समाज से ही शुरू होना चाहिए.'
'हमारे पास प्रतिभा...'
एक और यूजर ने इस मुद्दे पर गहरी बात कही, 'हमारे पास प्रतिभा की कमी नहीं है, समय का सम्मान करने की कमी है. ट्रेनें लेट होती हैं, सड़कें जाम रहती हैं, फ्लाइट्स देर से उड़ती हैं… और हम बस ‘एडजस्ट’ कर लेते हैं. जापान जादू से नहीं बना, उन्होंने समय को प्रतिबद्धता बनाया. भारत को भी ऐसा ही मानसिक बदलाव करना होगा. देरी को सामान्य न मानें. हम बेहतर कर सकते हैं.'
इस वायरल पोस्ट ने साफ कर दिया कि भारत में समय की कीमत और ट्रांसपोर्ट सिस्टम की मजबूरी पर सुधार की बेहद जरूरत है. यूजर्स का मानना है कि केवल इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं, बल्कि समय का सम्मान करने और ‘चलता है’ मानसिकता बदलने की भी आवश्यकता है.