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'भाई ताज महल, लाल किले को भी वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दो...',  वकील पर भड़क गए हाई कोर्ट के जज

MP High Court: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने एक वकील को जमकर फटकार लगाई और कहा कि किसी को कुछ पता नहीं है, बस मन आया और डिक्लेयर कर दिया. उन्होंने वकील को लताड़ते हुए कहा कि अरे भाई साहब आप लाल किला और ताज महल को भी ले लो और सब को वक्फ की प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दो. उनका यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

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Edited By: India Daily Live
Justice Ahluwalia
Courtesy: Social Media

वक्फ संपत्तियों का मामला इस समय पूरे देश में गर्म है. ऐसे ही एक मामले की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने वकील को जमकर फटकारा. उन्होंने कहा कि ऐसे तो किसी भी प्रॉपर्टी को वक्फ प्रॉपर्टी बता दोगे. जस्टिस अहलूवालिया ने कहा कि भाई साहब ताज महल और लाल किलो को भी वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दो. अब कोर्ट की सुनवाई का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस दौरान उन्होंने वकील को जमकर फटकारा और कहा कि किसी को कुछ नहीं मालूम है और जहां मन आया वक्फ प्रॉपर्टी बताने लगे.

सुनवाई के दौरान जस्टिस अहलूवालिया ने वकील से कुछ सवाल पूछे तो वह ठीक से जवाब ही नहीं दे पाए. इसी पर वह बुरी तरह भड़क गए. उन्होंने वकील से कहा, 'ये वक्फ की प्रॉपर्टी कैसे डिक्लेयर हो गई? आप मान रहे हो कि डिक्लेयर नहीं हो सकती. कल को किसी भी सरकारी ऑफिस को कह देंगे तो वह भी वक्फ की प्रॉपर्टी हो जाएगा? मेरा सीधा सा सवाल है.' इस पर वकील ने जैसे ही जवाब दिया जस्टिस अहलूवालिया का पारा और चढ़ गया.

'प्यार से सवाल समझ नहीं आते हैं'

उन्होंने आगे कहा, 'भाई साहब आप ताजमहल भी ले लो, लाल किला भी ले लो कौन मना कर रहा है. प्यार से सवाल समझ नहीं आते हैं आप लोगों को. किसी भी प्रॉपर्टी को आप वक्फ की बता दोगे. सेक्शन  में नोटिफिकेशन होगा, फलाना होगा. पूरे भारत को वक्फ की प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दो. कुछ नहीं मालूम किसी को. मन आया तो कर दिया, ये कैसे मुमकिन है?' 

वकील ने दलील दी थी कि एन्शिएंट मॉन्यूमेंट्स एक्ट के तहत प्रॉपर्टी केंद्र सरकार के संबंधित विभाग द्वारा सेफगार्ड की जा सकती है लेकिन उसका मालिकाना हक वक्फ बोर्ड के पास ही रहेगा. इस पर जस्टिस अहलूवालिया ने कहा, 'फिर तो साफ है न कि आप उसे हाथ नहीं लगा सकते. किसी को मालूम नहीं है कि 1989 के नोटिफिकेशन से पहले प्रॉपर्टी किसकी थी, बस मन हुआ और वक्फ प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दी. वकील साहब की बहस से समझ आ रहा है कि उनके पास कुछ नहीं है. अगर इनके पास कुछ होता तो केस में दम होता और तब इनको छेड़ना मुश्किल होता.'