चिंपैंजी भी शराबी! जंगल में पीते हैं रोजाना इतनी अल्कोहल कि इंसान भी हैरान रह जाए!
Chimpanzees Fun Fact: हाल ही में हुए शोध में खुलासा हुआ है कि अफ्रीका के जंगलों में रहने वाले चिंपैंजी इंसानों की तरह शराबी होते हैं. ये रोजाना इतने पके फल खाते हैं जिनमें अल्कोहल की मात्रा इंसानों के लगभग दो गिलास शराब के बराबर होती है. शोधकर्ताओं के अनुसार, यह आदत न केवल उन्हें ऊर्जा देती है बल्कि प्राकृतिक प्रवृत्ति के रूप में इंसानों में शराब की ओर आकर्षण का कारण भी हो सकती है.
Chimpanzees Fun Fact: क्या आप जानते हैं कि इंसानों की तरह जानवर भी शराब पी सकते हैं? हाल ही में वैज्ञानिकों ने अफ्रीका के जंगलों में रहने वाले चिंपैंजियों पर एक शोध किया, जिसमें यह सामने आया कि ये दिनभर फलों के माध्यम से इंसानों के दो गिलास शराब के बराबर अल्कोहल का सेवन कर लेते हैं. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले के तहत अध्ययन किया और पाया कि चिंपैंजी अपने शरीर के वजन का 5-10% हिस्सा फलों के रूप में रोजाना खाते हैं. चूंकि ये फल पूरी तरह पके होते हैं, उनमें प्राकृतिक रूप से शुगर का फर्मेंटेशन होता है, जिससे अल्कोहल बनता है.
शोध में शामिल 21 प्रकार के फलों में औसतन 0.26% अल्कोहल पाया गया है. अध्ययन के अनुसार, चिंपैंजी लगभग 4.5 किलो फल रोजाना खाते हैं और इस तरह वे 14 ग्राम शुद्ध इथेनॉल अपने शरीर में लेते हैं. इंसानी शरीर से तुलना करने पर यह मात्रा लगभग दो स्टैंडर्ड ड्रिंक के बराबर बैठती है.
नशे में नहीं दिखते चिंपैंजी
दिलचस्प बात यह है कि इतनी मात्रा में अल्कोहल लेने के बावजूद, चिंपैंजी नशे में नहीं दिखते. वे दिनभर फल खाते रहते हैं लेकिन किसी भी शराबी लक्षण के बिना अपनी दिनचर्या जारी रखते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर चिंपैंजी और ज्यादा पके, शुगर युक्त फलों को प्राथमिकता देते, तो उनकी अल्कोहल खपत और अधिक होती है. मगर पेट भर जाने के कारण नशे में डूबना संभव नहीं होता. उदाहरण के लिए, युगांडा के नगोगो इलाके में चिंपैंज़ी अंजीर (Ficus musuco) पसंद करते हैं, जबकि आइवरी कोस्ट में Parinari excelsa जैसे आलूबुखारे उनकी पसंदीदा फल हैं.
इंसानों और चिंपैंजी का साझा रिश्ता
शोधकर्ताओं का मानना है कि जिस तरह चिंपैंजी रोजाना थोड़ी मात्रा में अल्कोहल का सेवन करते हैं, संभव है कि हमारे मानव पूर्वज भी ऐसा करते रहे हों. यूसी बर्कले के प्रोफेसर रॉबर्ट डडले ने 2014 में अपनी किताब The Drunken Monkey: Why We Drink and Abuse Alcohol में इस सिद्धांत को विस्तार से बताया.
डडले और दूसरे वैज्ञानिकों का मानना है कि फल और पराग खाने वाले जीव स्वाभाविक रूप से रोजाना अल्कोहल ग्रहण करते हैं. उदाहरण के लिए, हाल ही में 17 प्रजातियों के पक्षियों पर अध्ययन किया गया, जिनमें 10 की पंखों में अल्कोहल के रासायनिक अंश पाए गए.
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