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मां-बाप या पत्नी, शहीद की संपत्ति पर किसका हक? MP में हो गया फैसला


जो मां-बाप अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर अधिकारी बनाते हैं, उनकी पढ़ाई के लिए अपनी खुशियों का सौदा करते हैं, उनका हक बेटे पर है या उस लड़की का, जिसने अपना परिवार, किसी के साथ के लिए छोड़ दिया हो, उसका. कानून की नजर में, किसी शख्स के परिवार की परिभाषा क्या है, मां-बाप या पत्नी? 

आपके मन में भी कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत के बाद ऐसे सवाल आए होंगे. कैप्टन अंशुमान के माता-पिता ने कहा है कि बेटे की शहादत के बाद बहुएं भाग जाती हैं, मां-बाप अकेले रह जाते हैं. उन्होंने कैप्टन अंशुमान की पत्नी पर आरोप लगाए हैं कि शहादत के बाद मिली आर्थिक मदद लेकर वे चली गईं.

अंशुमान के मां-बाप ने आरोप लगाया है कि कीर्ति चक्र भी उन्हें छूने नहीं दिया. इन आरोपों के बाद सवाल उठा कि शहीद की संपत्ति पर किसका हक ज्यादा है, मां-बाप या पत्नी का. मध्य प्रदेश सरकार ने तय कर लिया है कि अगर किसी जवान की शहादत होती है तो संपत्ति का बंटवारा, पत्नी और मां-बाप में बराबर होगा.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य पुलिस के एक कार्यक्रम में ऐलान किया कि शहीदों के परिवार को मिलने वाली राशि का 50 प्रतिशत पत्नी को और 50 प्रतिशत माता-पिता को मिलेगी. कानूनी उत्ताधिकार को लेकर जंग पुरानी है. शादी के बाद, व्यक्ति की संपत्ति पर अधिकार उसकी पत्नी का होता है, मां-बाप का नहीं. अगर शख्स ने नॉमिनी में मां-बाप को रखा है, तभी संपत्ति मिल सकती है, नहीं तो संपत्ति पत्नी को मिलती है

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