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Science Behind Love: तो प्यार में इसलिए मिलता है धोखा! वैज्ञानिकों ने बता दिया सच

Science Behind Love: साइकेट्री एंड साइकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में प्यार को ड्रग्स के नशे के समान बताया गया है.

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Gyanendra Tiwari
Science Behind Love: तो प्यार में इसलिए मिलता है धोखा! वैज्ञानिकों ने बता दिया सच

Science Behind Love : प्यार. इसे लेकर किताबों से लेकर इंटरनेट पर कई तरह की बातें कही जाती हैं. जब किसी को किसी से अट्रैक्शन होता है तो उसकी हर चीज आपको पसंद आने लगती है. अपनी लगने लगती है. आपको लगता है कि आप उसे कई सालों से जानते हैं और धीरे-धीरे आपको उस इंसान से प्यार हो जाता है. ये सिलसिला ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाता है क्योंकि प्यार में अधिकतर लोगों को सिर्फ धोखा मिलता है. इसके अलावा कुछ नहीं. आखिर लोग प्यार में एक दूसरे को धोखा क्यों देते हैं? इसके पीछे कारण क्या है? वैज्ञानिकों ने इस पर क्या कहा है इसे समझने की कोशिश करते हैं.

एक इंसान जब किसी से प्यार करता है तो वह ज्यादातर समय उसी के बारे में सोचता रहता है. जिसे आप प्यार कह रहे हैं दरअसल वो कोई प्यार या जादू नहीं बल्कि आपके शरीर में हुए केमिकल रिएक्शन का कमाल होता है जो आपको किसी एक इंसान के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर देता है कि बस आप उसी के बारे में सोचते रहते हैं. जर्नल ऑफ कंपेरेटिव न्यूरोलॉजी में में इसी से संबंधित एक रिपोर्ट पब्लिश की गई थी. आज हम प्यार के संबंध में प्रकाशित हुई कई रिसर्च पेपर्स की परतों को समझने की कोशिश करेंगे.

डोपामाइन का खेल है 

आर्काइव ऑफ सेक्सुअल बिहेवियर में साल 2017 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार हमारे शरीर में डोपामाइन नाम का एक केमिकल का जब ज्यादा रिसाव होता है तो हम किसी एक पर्टीकुलर इंसान के बारे में सोचते रहते हैं. डोपामाइन की वजह से आप बस उसी के बारे में सोचते रहते हैं बाकी लोग आपको बेकार लगते हैं. ये तो था प्यार का पहला स्टेप जब आप किसी के इश्क में पढ़ता है तो बॉडी में कुछ इसी तरह से रिएक्शन होता है जिसमें ज्यादा डोपामाइन का रिसाव होने से आप किसी खास के बारे में हो सोचते रहते हैं.

मेमोरी रिपीट होती है

जर्नल ऑफ पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी के अनुसार हमारे शरीर के अंदर सेंट्रल नोरेपाइनफ्रिल नाम का रसायन निकलता है जो हमारी मेमोरी को रिपीट करता रहता है. इसकी वजह से हमें उस इंसान की सिर्फ अच्छी आदतें ही नजर आती हैं. हम उसकी गलत आदतों के बारे में सोचते ही नहीं.

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साइकेट्री एंड साइकोलॉजी जर्नल साल 2017 में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी. इसमें कहा गया था कि प्यार किसी ड्रग्स की तरह होता है जब उसका प्रेमी उसे धोखा देता है तो वह बहुत कमजोर हो जाता है.

न्यूरॉन्स एक्टिव हो जाते हैं

मानवशास्त्री हेलेन फिर के अनुसार हमारे शरीर में पाए जाने वाले डोपामाइन हार्मोन किसी इंसान के लिए तेजी से आकर्षण पैदा करता है. जब दो प्रेमियों के बीच किसी बात को लेकर लड़ाई होती है तो डोपामाइन हार्मोन के न्यूरॉन्स एक्टिव हो जाते हैं.

आपका दिमाग उसी के बारे में सोचता है

इसके बाद प्यार में जो स्टेप आता है वो जुनूनी का आता है. प्यार एक इंसान को इतना जकड़ लेता है कि दिमाग का 85 हिस्सा सिर्फ उसी इंसान के बारे में सोचता है जिससे आप गहरा इश्क करते हैं. यह किसी बीमारी से कम नहीं. यह सेरोटोनिन हार्मोन के लेवल में आई कमी के चलते होता है. ऐसे में आपको किसी सहारे की जरूरत पड़ती है जो आपको कमजोर कर देती है. इसी स्टेज में आपके दिमाग का सिंगुलेट गाइरिस नाम का हिस्सा चालू हो जाता है, जो आपकी हालत किसी नशेड़ी की तरह कर देता है.

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जैसे-जैसे प्यार आगे बढ़ता है तो इंसान नए-नए सपने देखने लगता है. इसे लेकर हॉवर्ड यूनिवर्सिटी की एक शोध में कहा गया कि इस स्थिति में रोटोनिन हार्मोन का स्तर कम होकर ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है. ऐसे में आप अपने पार्टनर की और खिचे चले जाते हैं.

दर्द को अपना समझना

पार्टनर एक दूसरे से इतना प्यार करने लगते हैं कि वो एक दूसरे के दर्द को अपना समझते हैं और इसी में वो बड़ी-बड़ी कुर्बानियां देने लगते हैं. ये सब शरीर के मिरर न्यूरॉन्स के चलते होता है.

पसंद का ख्याल रखना

पार्टनर एक दूसरे की पसंद और नापसंद अपना लेते हैं. ये सब चीजें हार्मोन की वजह से ही होती हैं. टेस्टोस्टेरोन नाम का एक हार्मोन होता है जिसकी वजह से हम अपने पार्टनर की पसंद-नापसंद अपनाने लगते हैं.  

दूसरे के साथ बर्दाश्त नहीं

इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म की मानें तो जब दो लोग प्रेम में होते हैं तो उस दौरान पोज़ेसिवनेस बढ़ जाता है. ऐसे में अगर आपके पार्टनर के साथ कोई और रहता है तो आप बर्दाश्त नहीं कर पाते. आपको लगता है कि केवल आपका ही उस शख्स पर अधिकार है.

शारीरिक संबंधों को महत्व

हेलेन फिशर कहती हैं कि दो प्रेमी धीरे-धीरे भावनात्मक प्रेम से शारीरिक प्रेम की ओर जाने लगते हैं. उनकी एक स्टडी कहती है कि 64 फीसदी लोग प्रेम में शारीरिक संबंधों को महत्व देते हैं.

प्यार अस्थाई है

अब प्यार में अंतिम पड़ाव आता है धोखा. हेलेन फिशर की माने तो कोई भी इंसान ज्यादा दिनों तक प्रेम में नहीं टिकटा है. कुछ दिनों, महीनों या सालों बाद यह खत्म हो ही जाता है क्योंकि प्यार स्थाई प्रक्रिया नहीं है. अगर प्रेम में बाध्यता न हो तो यह और भी जल्दी खत्म हो जाता है.

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