Gold-silver price: पिछले कुछ समय से निवेशकों का ध्यान सोने की ओर केंद्रित रहा है. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. चांदी धीरे-धीरे सोने को पीछे छोड़ती हुई नजर आ रही है. देश में इंडस्ट्रियल स्तर पर चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे इसके दामों में भी तेजी आने की उम्मीद है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि साल के अंत तक चांदी 90,000 रुपये प्रति किलो के स्तर को छू सकती है.
इंडस्ट्रियल उपयोग: चांदी एक बेहतरीन विद्युत चालक है, जिसके कारण इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लेकर मेडिकल उपकरणों तक में बड़े पैमाने पर होता है. बढ़ती औद्योगीकरण के साथ चांदी की मांग भी बढ़ रही है.
सोलर ऊर्जा: सोलर पैनलों के निर्माण में चांदी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ ही चांदी की मांग में भी इजाफा हो रहा है.
इलेक्ट्रिक वाहन: इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में भी चांदी का उपयोग होता है. आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ने के साथ ही चांदी की मांग में भी इजाफा होने की उम्मीद है.
जियो-पॉलिटिकल तनाव: दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जियो-पॉलिटिकल तनाव के कारण निवेशक सोने और चांदी जैसे सुरक्षित निवेश के विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं.
अमेरिकी सेंट्रल बैंक का फैसला: अमेरिकी सेंट्रल बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती किए जाने की संभावना भी चांदी के दामों में तेजी ला सकती है.
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी हेड अनुज गुप्ता का मानना है कि चांदी का इंडस्ट्रियल उपयोग इसके दामों में तेजी का प्रमुख कारण है. उन्होंने कहा कि साल के अंत तक चांदी 90,000 रुपये प्रति किलो के स्तर को छू सकती है. अन्य एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि आने वाले समय में चांदी के दाम और भी बढ़ सकते हैं.
चांदी की बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति के कारण इसके दामों में तेजी आने की उम्मीद है. निवेशक चांदी को एक आकर्षक निवेश विकल्प के रूप में देख रहे हैं. हालांकि, निवेश से पहले एक्सपर्ट्स की सलाह लेना जरूरी है.