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डीए के बाद केंद्रीय कर्मचारियों को केंद्र का एक और बड़ा तोहफा, 15 साल बाद CGHS की दरें बढ़ाईं

महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी के बाद केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक और बड़ी राहत दी है. 15 साल बाद पहली बार केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) की दरों में व्यापक संशोधन किया गया है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
CGHS
Courtesy: social media

CGHS rates revised: केंद्र सरकार ने लंबे इंतजार के बाद सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) दरों में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को और सुलभ बना दिया है. साल 2014 के बाद यह पहली बार है जब करीब 2,000 से अधिक मेडिकल प्रक्रियाओं के रेट अपडेट किए गए हैं.

इन बदलावों से सरकारी अस्पतालों और निजी पैनल वाले संस्थानों को अब उनके दर्जे और शहर की श्रेणी के अनुसार भुगतान मिलेगा. सरकार का दावा है कि इससे जहां मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज मिलेगा, वहीं अस्पतालों को भी वित्तीय संतुलन का लाभ होगा.

क्या है CGHS और क्यों अहम है

सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके परिवारों के लिए शुरू की गई एक स्वास्थ्य सेवा योजना है. इस योजना के तहत रजिस्टर्ड व्यक्ति ओपीडी, सर्जरी, दवाइयों और अस्पताल में भर्ती जैसी सेवाएं कैशलेस रूप में प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए केंद्र सरकार देशभर के चुनिंदा अस्पतालों को अपने पैनल में रखती है. लेकिन पिछले कई वर्षों से यह शिकायतें बढ़ रही थीं कि अस्पताल पुराने रेट्स के कारण कैशलेस इलाज देने से इनकार कर रहे थे, जिससे मरीजों को पहले अपनी जेब से खर्च करना पड़ता था.

नई दरों में क्या बड़ा बदलाव हुआ

सरकार ने अब लगभग 2,000 मेडिकल प्रक्रियाओं की दरों को अपडेट कर दिया है. नई व्यवस्था के तहत दरें शहर की श्रेणी (Tier-I, Tier-II, Tier-III) और अस्पताल की गुणवत्ता पर निर्भर करेंगी. टियर-II शहरों में इलाज की दरें बेस रेट से 19% कम होंगी, जबकि टियर-III शहरों में 20% कम.

वहीं NABH प्रमाणित अस्पतालों को बेस रेट के अनुसार भुगतान मिलेगा, जबकि गैर-NABH अस्पतालों को 15% कम दर दी जाएगी. बड़े सुपर-स्पेशियलिटी अस्पतालों (200 से अधिक बेड वाले) को 15% ज्यादा रेट का लाभ मिलेगा. इस नए सिस्टम से इलाज की लागत अब अस्पताल की मान्यता, सुविधा और शहर की श्रेणी के आधार पर तय होगी.

पुराने रेट्स से क्यों बढ़ी थी समस्या

पिछले 15 सालों से रेट्स अपडेट न होने के कारण कई अस्पतालों ने CGHS योजना के तहत मरीजों को कैशलेस इलाज देने से मना कर दिया था. मरीजों को इलाज का पूरा खर्च खुद उठाना पड़ता था और फिर महीनों तक रिफंड का इंतजार करना पड़ता था.

इस वजह से सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को भारी आर्थिक बोझ झेलना पड़ता था. अब नई दरों के लागू होने से यह समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी. सरकार को उम्मीद है कि अस्पताल अब बिना हिचक कैशलेस सुविधा देंगे क्योंकि उन्हें इलाज के बदले उचित भुगतान मिलेगा.

सरकार का उद्देश्य और आगे की राह

केंद्र सरकार का कहना है कि यह सुधार सिर्फ रेट संशोधन नहीं, बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भरोसा बहाल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे न केवल सरकारी कर्मचारियों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि अस्पतालों और डॉक्टरों को भी पारदर्शी भुगतान प्रणाली का लाभ होगा. स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि यह बदलाव CGHS योजना को समय के अनुरूप आधुनिक बनाने और आने वाले वर्षों में इसे और प्रभावी बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा.