क्या है संचार साथी ऐप? सरकार ने नए मोबाइल फोनों में किया अनिवार्य, जानें इसकी खासियत
सरकार ने मार्च 2026 से सभी नए मोबाइल फोनों में संचार साथी ऐप को प्रीइंस्टॉल करने का निर्देश दिया है. यह ऐप चोरी हुए फोन को ब्लॉक करने, आईएमईआई जांचने और स्कैम कॉल रिपोर्ट करने के लिए बनाया गया है.
नई दिल्ली: भारत सरकार ने संचार साथी ऐप को हर नए स्मार्टफोन में अनिवार्य रूप से प्रीइंस्टॉल करने का निर्देश दिया है. डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन ने कहा है कि मार्च 2026 से भारत में बिकने वाले सभी नए मोबाइल फोनों में यह ऐप पहले से मौजूद होना चाहिए. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यूजर इस ऐप को न तो हटा सकेंगे और न ही इसे निष्क्रिय कर सकेंगे.
यह ऐप फोन के आईएमईआई की प्रामाणिकता जांचने, स्कैम कॉल रिपोर्ट करने और चोरी हुए फोन को ब्लॉक करने के लिए बनाया गया है. सरकार ने दावा किया है कि अब तक लाखों खोए फोन इस ऐप की मदद से खोजे जा चुके हैं. ऐप हिंदी सहित 22 भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे देश के ज्यादातर उपयोगकर्ता इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकें.
विपक्षी दलों ने क्यों की इसकी आलोचना?
सरकार के इस निर्देश की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है. कांग्रेस ने कहा है कि यह निर्णय संविधान में दिए गए निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है. कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया है कि फोन में अनिवार्य सरकारी ऐप लगाने का मतलब नागरिकों की निगरानी करना है. पार्टी ने इसे असंवैधानिक बताते हुए दिशा निर्देशों को तुरंत वापस लेने की मांग की है.
डीओटी ने क्या कहा?
कई विपक्षी नेताओं ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि यह ऐप कॉल, मैसेज और लोकेशन की निगरानी का जरिया बन सकता है. उन्होंने कहा है कि सरकार सुरक्षा के नाम पर नागरिकों की स्वतंत्रता में दखल दे रही है. डीओटी ने कहा है कि यह कदम इसलिए जरूरी है ताकि नकली फोन की बिक्री रोकी जा सके और सिम बाइंडिंग साइबर अपराध पर नियंत्रण पाया जा सके.
क्या है इसका फायदा?
विभाग के अनुसार, चोरी हुए फोन में आईएमईआई बदलने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे कई अपराधी उसी फोन को दोबारा बेच देते हैं. संचार साथी ऐप की मदद से ब्लैकलिस्टेड फोन की पहचान तुरंत की जा सकेगी. सरकार का कहना है कि संचार साथी ऐप जनवरी 2025 में लॉन्च किया गया था और अगस्त 2025 तक इसे 50 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है.
क्या है इसकी खासियत?
सरकार के अनुसार, ऐप ने 37 लाख चोरी हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक किया है और 22 लाख से अधिक डिवाइस को खोजने में मदद की है. यह ऐप देश के केंद्रीय CEIR सिस्टम से जुड़ा हुआ है, जहां हर फोन का आईएमईआई नंबर दर्ज रहता है. ऐप फोन का नंबर मांगकर ओटीपी के माध्यम से उसे वेरीफाई करता है और उसके बाद फोन की स्थिति की जांच करता है. यह पता लगाया जाता है कि फोन चोरी की शिकायत में दर्ज है या ब्लैकलिस्टेड है.