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पहलगाम आतंकी हमले में सेना की वर्दी का इस्तेमाल, सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट; खुलेआम बिक रही वर्दी पर उठे सवाल

कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई. आतंकी सेना जैसी वर्दी पहनकर आए थे, जिससे लोगों को भ्रम हुआ. वर्दी का गलत इस्तेमाल पहले भी हुआ है, लेकिन नियमों का पालन सख्ती से नहीं हो रहा है.

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Anvi Shukla

Pahalgam Attack Military Uniforms: कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई. चश्मदीदों के अनुसार, आतंकी सेना जैसी वर्दी पहनकर आए थे. इससे लोगों को भ्रम हुआ कि वे सुरक्षाकर्मी हैं और वे बिना डरे उनके पास चले गए.  

यह पहली बार नहीं है जब आतंकियों ने सेना या पुलिस की वर्दी का गलत इस्तेमाल किया हो. पहले भी ऐसे हमलों में वर्दी का उपयोग किया गया है. हालांकि देश में ऐसे नियम हैं कि वर्दी सिर्फ ड्यूटी पर लगे जवान ही पहन सकते हैं, लेकिन खुले बाजार में यह आसानी से बिक रही है. सवाल उठता है—क्या इन नियमों को सख्ती से लागू किया जा रहा है?  

देहरादून में वर्दी की खुली बिक्री

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, जहां भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) है, वहां कई बाजारों में सेना की वर्दी, जूते, टोपी और नाम पट्टियां आसानी से बिक रही हैं. डाकरा, पलटन बाजार और मोती बाजार जैसे इलाकों में कोई भी इन्हें खरीद सकता है. दुकानदार कहते हैं कि वे 'जाने-पहचाने लोगों' को ही सामान बेचते हैं, लेकिन बिना आईडी चेक किए यह दावा अधूरा है.

जम्मू-कश्मीर में सख्ती, बाकी राज्यों में क्यों नहीं?

जम्मू-कश्मीर में वर्दी खरीदने के लिए पहचान पत्र दिखाना ज़रूरी है. फिर यही नियम बाकी राज्यों में क्यों नहीं लागू किए जा रहे? देहरादून के एसएसपी अजय सिंह और आईजी राजीव स्वरूप ने कहा है कि अब वर्दी बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी. पुलिस ने दुकानों की जांच भी शुरू कर दी है. सेना की वर्दी सम्मान, अनुशासन और बलिदान का प्रतीक है. इसे किसी भी हाल में गलत हाथों में नहीं जाने देना चाहिए. अब समय आ गया है कि पूरे देश में वर्दी की बिक्री पर सख्त नियम और निगरानी लागू हो.