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चुनाव आयोग मांग रहा था शपथ पत्र, अखिलेश यादव ने भिजवा दी पावती, उल्टा EC से कर डाली ये मांग

सपा ने अपने बयान के अंत में बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि सत्य और निष्पक्षता तभी सामने आएगी, जब बीजेपी का प्रभाव कम होगा. पार्टी ने बिहार और उत्तर प्रदेश में अपनी ‘वोट अधिकार यात्रा’ को और तेज करने का संकल्प लिया है, ताकि मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा की जा सके.

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Edited By: Mayank Tiwari
Samajwadi Party Chief Akhilesh Yadav
Courtesy: X@yadavakhilesh

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग के उस दावे पर तीखा पलटवार किया है, जिसमें आयोग ने कहा था कि उसे सपा द्वारा जमा किए गए शपथपत्र प्राप्त नहीं हुए हैं. सपा ने आयोग को चुनौती दी है कि वह अपने कार्यालय द्वारा दी गई पावती को जांचे, जो उनके शपथपत्रों की प्राप्ति का प्रमाण है. सपा ने निर्वाचन आयोग से यह भी मांग की है कि वह शपथपत्र देकर इस बात की पुष्टि करे कि आयोग द्वारा भेजी गई डिजिटल रसीद सही है. पार्टी ने चेतावनी दी कि ऐसा न होने पर न केवल निर्वाचन आयोग, बल्कि ‘डिजिटल इंडिया’ पहल भी संदेह के घेरे में आ जाएगी.

सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट लिखी. जिसमें उन्होंने कहा, “जो चुनाव आयोग ये कह रहा है कि हमें यूपी में समाजवादी पार्टी द्वारा दिये गये ऐफिडेविट नहीं मिले हैं, वो हमारे शपथपत्रों की प्राप्ति के प्रमाण स्वरूप दी गयी अपने कार्यालय की पावती को देख ले.” पार्टी ने आगे कहा, “इस बार हम मांग करते हैं कि चुनाव आयोग शपथपत्र दे कि ये जो डिजिटल रसीद हमको भेजी गयी है वो सही है, नहीं तो ‘चुनाव आयोग’ के साथ-साथ ‘डिजिटल इंडिया’ भी शक के घेरे में आ जाएगा.” सपा ने अपने बयान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर भी निशाना साधते हुए कहा, “भाजपा जाए तो सत्यता आए!” यह बयान सपा की ओर से आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर उठाए गए सवालों को और गहरा करता है.

डिजिटल रसीद पर उठे सवाल

सपा ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि उनके द्वारा जमा किए गए शपथपत्रों की पावती आयोग के कार्यालय से प्राप्त हुई थी. पार्टी ने पूछा कि यदि आयोग को शपथपत्र नहीं मिले, तो डिजिटल रसीद की वैधता पर सवाल क्यों नहीं उठाया जा रहा? सपा ने इस मुद्दे को ‘डिजिटल इंडिया’ पहल से जोड़ते हुए कहा कि यदि डिजिटल रसीदों की विश्वसनीयता पर संदेह उठता है, तो यह केंद्र सरकार की डिजिटल पहल की साख को भी प्रभावित करेगा.

सपा ने चुनाव आयोग से कि पारदर्शिता की मांग

सपा ने चुनाव आयोग से मांग की है कि वह इस मामले में पूरी तरह से पारदर्शिता बरते और शपथपत्रों की प्राप्ति से संबंधित सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक करे. पार्टी ने यह भी कहा कि आयोग को अपनी प्रक्रियाओं की निष्पक्षता को साबित करने के लिए स्वयं शपथपत्र दाखिल करना चाहिए. सपा का यह कदम उत्तर प्रदेश में चल रहे राजनीतिक विवादों को और तीखा कर सकता है, खासकर जब विपक्षी दल पहले ही आयोग पर पक्षपात के आरोप लगा रहे हैं.