यूपी के घूसखोर DSP के पास मिली 100 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति, योगी सरकार ने की बड़ी कार्रवाई

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में तैनात DSP के पास करोड़ों की बेनामी संपत्ति का खुलासा SIT जांच में हुआ है. इस जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद अब सरकार ने उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं.

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Kanhaiya Kumar Jha

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस उपाधीक्षक (डीवाईएसपी) ऋषिकांत शुक्ला के खिलाफ विजिलेंस जांच का आदेश दिया गया है. वो वर्तमान में मैनपुरी के भोगांव में तैनात हैं. विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच में उनके खिलाफ कानपुर के एक वकील के जबरन वसूली गिरोह के साथ कथित तौर पर मिलीभगत करके लगभग 100 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने के सबूत मिलने के बाद ये कार्रवाई हुई है.

गृह (पुलिस सेवा) विभाग की ओर से 3 अक्टूबर, 2025 को जारी एक आधिकारिक पत्र के अनुसार, यह निर्णय कानपुर नगर के पुलिस आयुक्त और विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों के आधार पर उत्तर प्रदेश पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी), प्रशासन की सिफारिश के बाद लिया गया है.

झूठे मामले गढ़ने, जबरन वसूली और जमीन हड़पने में शामिल होने के मिले सबूत

कानपुर पुलिस आयुक्त कार्यालय को वकीलों के एक गिरोह द्वारा झूठे मामले गढ़ने, जबरन वसूली और जमीन हड़पने में शामिल होने की सूचना मिलने के बाद यह जांच शुरू हुई. आरोपों की जांच के लिए एक पुलिस उपायुक्त के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया था.

अधिवक्ता अखिलेश दुबे प्रकरण में मिली संलिप्तता

पूछताछ के दौरान, एसआईटी को पता चला कि कानपुर के साकेत नगर निवासी और रामकृष्ण दुबे के पुत्र अधिवक्ता अखिलेश दुबे एक सुसंगठित नेटवर्क चला रहे थे, जो फर्जी FIR दर्ज करने, जबरन वसूली करने और जमीनों पर जबरन कब्जा करने जैसी घटनाओं में संलिप्त था. गिरोह ने कथित तौर पर अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पुलिस, केडीए (कानपुर विकास प्राधिकरण) और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे थे.

कानपुर में कार्यकाल के दौरान अर्जित की अकूत संपत्ति

एसआईटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला, जो 1998 में पुलिस बल में सब-इंस्पेक्टर के रूप में शामिल हुए थे, ने 1998-2006 और 2006-2009 के बीच एक दशक से अधिक समय तक कानपुर में सेवा की. इस अवधि के दौरान, उन्होंने कथित तौर पर अखिलेश दुबे के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए और गिरोह से जुड़े कई रियल एस्टेट उपक्रमों में भागीदार बन गए.

जांचकर्ताओं ने पाया कि शुक्ला, अपने परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के साथ, 12 प्रमुख स्थानों पर अचल संपत्तियों के मालिक हैं, जिनका अनुमानित वर्तमान बाजार मूल्य ₹92 करोड़ है. इसके अतिरिक्त, तीन अन्य सम्पत्तियां, जो उनके पैन रिकॉर्ड से जुड़ी हैं, आधिकारिक रूप से सत्यापित नहीं की जा सकीं.

एसआईटी ने आर्य नगर में 11 व्यावसायिक दुकानों की भी पहचान की, जो अखिलेश दुबे के एक ज्ञात सहयोगी देवेंद्र दुबे के नाम पर पंजीकृत हैं, लेकिन कथित तौर पर शुक्ला के स्वामित्व वाली बेनामी संपत्तियां हैं. अधिकारियों ने पाया कि सब-इंस्पेक्टर से डीएसपी तक के उनके कार्यकाल को देखते हुए, इतना बड़ा धन संचय उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से मेल नहीं खाता.

जांच रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि शुक्ला की संपत्ति अप्राकृतिक, अवैध और वैध आय से कहीं अधिक प्रतीत होती है. एसआईटी के निष्कर्षों के बाद, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से अनुमोदन के बाद, एडीजी (प्रशासन) ने एक औपचारिक सतर्कता जांच और उसके बाद विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की.

गृह विभाग ने दिए जांच के आदेश

गृह विभाग ने अब सतर्कता विभाग के प्रमुख सचिव को शुक्ला के वित्तीय और संपत्ति रिकॉर्ड की व्यापक जांच शुरू करने और निष्कर्षों के आधार पर आगे की कानूनी और विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. आदेश में 266 पृष्ठों के सहायक दस्तावेज शामिल हैं, जिनमें एसआईटी रिपोर्ट, कानपुर पुलिस पत्राचार और संपत्ति सत्यापन रिकॉर्ड शामिल हैं.