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Mahakumbh 2025: कैसे महिलाएं बनती हैं नागा साधु? नागिन-अवधूतनी की परीक्षा में लग सकते हैं कई साल

पूरे देश में नागा साधुओं की संख्या लाखों में हैं, ये सभी धर्म की रक्षा के लिए होते हैं. पुरुषों के साथ ही महिला नागा भी होती हैं. लेकिन इनके बबने के तरीके में थोड़ा अंतर होता है. पुरुषों की नस खींची जाती है, जबकि महिलाओं को अलग परीक्षा देनी होती है.

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
Women Naga Sadhu
Courtesy: x

Mahakumbh 2025: महिलाएं भी नागा साधु बन सकती हैं और इन्हें नागिन, अवधूतनी या माई कहा जाता है. ये महिलाएं सामान्यत: वस्त्र पहनती हैं, लेकिन कुछ विशेष महिला नागा साधु वस्त्र त्यागकर केवल भभूत ही पहनती हैं. 

जूना अखाड़ा, जो कि देश का सबसे बड़ा और पुराना अखाड़ा है, महिला नागा साधुओं का प्रमुख केंद्र बन चुका है. साल 2013 में पहली बार इस अखाड़े में महिला नागा साधु जुड़ी थीं और अब सबसे अधिक महिला नागा इसी अखाड़े से हैं. इसके अलावा आह्वान अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा और आनंद अखाड़ा जैसे अन्य अखाड़ों में भी महिला नागा साधु सक्रिय हैं.

महिला नागा और पुरुष नागा में अंतर

महिला नागा बनने की प्रक्रिया पुरुष नागा साधु के समान ही है, लेकिन इसमें कुछ विशेष अंतर होते हैं. पुरुषों को ब्रह्मचर्य पालन के लिए शारीरिक प्रक्रिया से गुजरना होता है, जबकि महिलाओं को ब्रह्मचर्य का संकल्प लेना होता है. महिलाओं को इस संकल्प को पूरा करने में कई साल लग सकते हैं, और यह प्रक्रिया 10 से 12 साल तक चल सकती है. जब अखाड़े के गुरु को महिला साधु पर भरोसा हो जाता है, तब उन्हें दीक्षा दी जाती है. दीक्षा के बाद, महिला साधु को अपने पुराने सांसारिक कपड़े छोड़कर अखाड़े से प्रदान किए गए पीले या भगवे वस्त्र पहनने होते हैं. इस प्रक्रिया के बाद उन्हें 'माता' की उपाधि दी जाती है.

सीनियर नागा को मिलता है सम्मान

महिला नागा साधु बनने के लिए ब्रह्मचर्य पालन और संन्यास की कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, लेकिन एक बार जब वे इस मार्ग पर पूरी तरह से अग्रसर हो जाती हैं, तो उन्हें अखाड़े में महत्वपूर्ण सम्मान मिलता है. सबसे सीनियर महिला नागा संन्यासी को श्रीमहंत का पद प्राप्त होता है. यह पद पाने वाली महिला को शाही स्नान के दिन पालकी में लाया जाता है, और उसे अखाड़े की ध्वजा और डंका लगाने का अधिकार मिलता है.

महिला नागा बनना कठिन

इस प्रकार, महिला नागा साधुओं की यात्रा एक लंबी और कठिन प्रक्रिया होती है, लेकिन जब वे इस पथ पर चलने का संकल्प करती हैं, तो उन्हें अखाड़े में विशेष सम्मान और अधिकार प्राप्त होते हैं.