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इमाम ने आधार कार्ड देखकर लड़की का निकाह पढ़ने से किया इंकार, बिना दुल्हन के वापस लौटी बारात, जानें क्या था पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में शहर कोतवाली के मोहल्ला बख्शीवाला में एक चिंताजनक घटना सामने आई. यहां मंगलवार को स्योहारा से बारात आई थी, लेकिन यह बारात बिना दुल्हन के ही लौट गई.

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Edited By: Anuj
In Bijnor, the Imam refused to conduct the marriage ceremony

बिजनौर: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में शहर कोतवाली के मोहल्ला बख्शीवाला में एक चिंताजनक घटना सामने आई. यहां मंगलवार को स्योहारा से बारात आई थी, लेकिन यह बारात बिना दुल्हन के ही लौट गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि निकाह पढ़ाने पहुंचे इमाम साहब ने दुल्हन की उम्र देखकर निकाह कराने से साफ इनकार कर दिया. दुल्हन केवल 15 साल की थी, जबकि दूल्हे की उम्र लगभग 45 साल बताई जा रही थी.

इमाम ने निकाह पढ़ाने से किया इंकार

जानकारी के अनुसार, बारात में करीब 25 लोग शामिल थे. बारातियों के कम होने के कारण मोहल्ले में लोगों में चर्चाएं शुरू हो गई थी. बारात में मौजूद एक व्यक्ति बारातियों को जल्दी निकाह कराने के लिए दबाव बना रहा था, जबकि घराती पहले सभी को खाना खिलाने के पक्ष में थे. इस बीच निकाह पढ़ाने के लिए इमाम साहब भी मौके पर पहुंचे. जैसे ही औपचारिकताएं शुरू हुई, इमाम साहब को दूल्हे की उम्र का पता चला. उन्होंने दुल्हन का आधार कार्ड देखा, जिसमें उसकी उम्र सिर्फ 15 साल दर्ज थी.

तीसरी शादी करने आया था शख्स

यह देखकर इमाम साहब ने तुरंत निकाह करने से मना कर दिया और परिवार को कानूनी तथा धार्मिक नियमों की जानकारी दी. दुल्हन की कम उम्र और दूल्हे की बढ़ी हुई उम्र को देखकर माहौल तनावपूर्ण हो गया. वहीं, यह भी पता चला कि दूल्हा पहले दो बार शादी कर चुका है, लेकिन वे सफल नहीं रही थी. अब वह तीसरी शादी करने आया था.

बिना दुल्हन के वापस लौटी बारात

काफी समझाने-बुझाने और बातचीत के बाद बारातियों ने बिना दुल्हन के ही वापस लौटने का फैसला किया. यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है. हालांकि, शहर कोतवाल धर्मेन्द्र सोलंकी ने मामले की जानकारी से इनकार किया है.

नाबालिग का भविष्य बचा

इस घटना ने समाज में नाबालिग बच्चों के साथ विवाह की गंभीरता और कानूनी नियमों के पालन की आवश्यकता को फिर से उजागर कर दिया है. इमाम साहब के समय पर हस्तक्षेप ने एक नाबालिग की सुरक्षा और भविष्य को बचाया. यह मामला यह भी दिखाता है कि समाज में जागरूकता और नियमों का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि बच्चों के अधिकार सुरक्षित रह सकें.