वाराणसी में 'आई लव मोहम्मद' का संतों ने दिया करारा जवाब, 'आई लव महादेव' के नारों से गूंजी भगवान शिव की नगरी काशी
I Love Mahadev: उत्तर प्रदेश में इस वक्त आई लव मुहम्मद पोस्टर को लेकर बवाल मचा हुआ है. ऐसे में इसका जवाब अब काशी में दिया गया है और लोगों ने आई लव महादेव के नारे लगाए हैं.
I Love Mahadev: उत्तर प्रदेश में 'आई लव मोहम्मद' अभियान को लेकर शुरू हुआ विवाद अब धार्मिक और सामाजिक रंग ले चुका है. इस विवाद का जवाब देने के लिए वाराणसी में हिंदू संतों और भक्तों ने 'आई लव महादेव' अभियान शुरू किया है. काशी, जो भगवान शिव की नगरी के रूप में जानी जाती है, वहां से इस अभियान का बिगुल फूंका गया. संतों ने साफ कहा कि अगर शांति का रास्ता नहीं अपनाया गया, तो 'महादेव की फौज' जवाब देने के लिए तैयार है.
वाराणसी के पवित्र घाटों और मंदिरों से 'आई लव महादेव' अभियान की शुरुआत हुई. इस अभियान में सैकड़ों संतों, भक्तों, युवाओं और महिलाओं ने हिस्सा लिया. शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती के नेतृत्व में यह आंदोलन शुरू हुआ. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर से दशाश्वमेध घाट तक मार्च निकाला. इस दौरान 'हर हर महादेव' के नारे और शंखनाद से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया.
शंकराचार्य ने दी चतावनी
शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने इस अभियान के दौरान कहा कि कुछ लोग 'आई लव मोहम्मद' के नाम पर समाज में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने इसे सरकार के खिलाफ साजिश करार दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर शांति की भाषा नहीं समझी गई, तो हिंदू समाज एकजुट होकर जवाब देगा. शंकराचार्य ने दावा किया कि 'महादेव की सेना' में लाखों लोग शामिल हैं, जो किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, "हम शांति चाहते हैं लेकिन अगर कोई हमारी आस्था पर सवाल उठाएगा, तो महादेव के भक्त चुप नहीं रहेंगे."
शांतिपूर्ण तरीके से हुआ प्रदर्शन
'आई लव महादेव' अभियान के तहत निकाले गए मार्च और प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहे. काशी के गलियारों में भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था. इस दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. हालांकि, पुलिस ने किसी भी अनहोनी से बचने के लिए पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की थी. भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए ताकि माहौल शांत रहे.
एकता और शांति का दिया संदेश
'आई लव महादेव' अभियान का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना और शांति का संदेश देना है. संतों का कहना है कि यह अभियान किसी के खिलाफ नहीं बल्कि अपनी आस्था को मजबूत करने और समाज में एकता बनाए रखने के लिए है. एक संत ने कहा, "हमारा उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना नहीं बल्कि अपनी संस्कृति और आस्था को गर्व के साथ प्रदर्शित करना है."
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