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फिर सलाखों के पीछे पहुंचे आजम खान, सियासी वापसी की कोशिशों को लगा बड़ा झटका

समाजवादी नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को पैन कार्ड फर्जीवाड़ा मामले में रामपुर कोर्ट ने सात-सात साल की सजा सुनाई है. जमानत पर बाहर आए 55 दिन बाद आजम फिर जेल भेजे गए, जिससे उनका सियासी भविष्य संकट में है.

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
azam khan India Daily
Courtesy: Social Media

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत में कभी सबसे प्रभावशाली चेहरा रहे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान एक बार फिर जेल पहुंच गए हैं. पैन कार्ड से जुड़े फर्जीवाड़े के मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सोमवार को आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी करार दिया है. अदालत ने दोनों को सात-सात साल की कैद और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

गौर करने वाली बात यह है कि आजम खान को जेल से जमानत पर बाहर आए हुए अभी दो महीने भी पूरे नहीं हुए थे. वह 23 महीने जेल में रहने के बाद 23 सितंबर को सीतापुर जेल से रिहा हुए थे, लेकिन दोबारा अदालत के फैसले ने उन्हें फिर से सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

अब्दुल्ला के जन्म प्रमाणपत्र से शुरू हुआ पूरा विवाद

यह पूरा मामला अब्दुल्ला आजम की उम्र से जुड़े विवाद से शुरू हुआ था. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में आजम खान ने अपने बेटे को स्वार सीट से टिकट दिलवाया, लेकिन नामांकन के बाद ही अब्दुल्ला की जन्मतिथि पर सवाल उठने लगे. जांच में सामने आया कि अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र, दो पासपोर्ट और दो पैन कार्ड बने हुए थे.

बीजेपी नेता आकाश सक्सेना की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया. जन्म प्रमाणपत्र मामले में अदालत ने 18 अक्टूबर 2023 को आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला को सात-सात साल की सजा सुनाई थी. बाद में तंजीन फातिमा को 7 महीने 11 दिन बाद, अब्दुल्ला को 17 महीने बाद और आजम खान को 23 महीने बाद जमानत मिली.

सियासी सक्रियता शुरू करते ही लगा झटका

जेल से बाहर आने के बाद आजम खान राजनीतिक रूप से फिर से सक्रिय होने की कोशिश कर रहे थे. वे लगातार मीडिया से बात कर रहे थे, जनता से मिल रहे थे और रामपुर व पश्चिमी यूपी में सक्रियता बढ़ा रहे थे. उन्होंने अखिलेश यादव से दो बार मुलाकात भी की थी. ऐसे समय में, जब वे अपनी खोई राजनीतिक जमीन वापस पाने के प्रयास में थे, पैन कार्ड केस में आए इस फैसले ने उनकी राह में बड़ा अवरोध पैदा कर दिया है.

रामपुर की सियासत से परिवार पूरी तरह बाहर

कभी रामपुर की राजनीति आजम खान के इशारों पर चलती थी. आजम खुद विधायक थे, अब्दुल्ला भी विधायक रह चुके हैं और तंजीन फातिमा राज्यसभा सदस्य रही हैं. लेकिन लगातार कानूनी मामलों और सजाओं के कारण खान परिवार का कोई भी सदस्य आज किसी भी सदन में नहीं है.

आजम खान के जेल जाने से उनकी राजनीतिक पकड़ लगातार कमजोर होती गई है. अब एक बार फिर जेल जाने से उनकी भविष्य की राजनीति पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.

क्या होगा आगे?

सजा के बाद कानूनी रूप से आजम खान का राजनीतिक भविष्य बेहद कठिन दिख रहा है. चुनाव लड़ने पर पाबंदी जैसी स्थिति भी बन सकती है. रामपुर की राजनीति में जो खालीपन बना है, उसे दूसरे दल तेजी से भरने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि आजम खान अपनी सियासी विरासत को कैसे बचा पाते हैं.