जब किसी पीएम के अंडरगार्मेंट्स..., बुर्का विवाद पर साध्वी प्राची ने किया विपक्ष पर तीखा हमला; पूछा- संता मदरसे में क्यों नहीं जाते?
हिजाब विवाद को लेकर साध्वी प्राची के बयानों ने सियासी माहौल और गरमा दिया है. उन्होंने बुर्का, मदरसा, कुरान, समाजवादी पार्टी और संता क्लॉज पर तीखी टिप्पणियां की हैं.
अलीगढ़: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक महिला का मंच पर हिजाब हटाने से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां विपक्ष और मुस्लिम संगठनों की ओर से विरोध और माफी की मांग की जा रही है, वहीं साधु संत और कुछ हिंदू संगठनों ने नीतीश कुमार का समर्थन किया है. इसी कड़ी में अलीगढ़ पहुंचीं साध्वी प्राची ने बुर्का, मदरसा, कुरान, समाजवादी पार्टी और संता क्लॉज को लेकर तीखे बयान दिए हैं.
साध्वी प्राची ने कहा कि जब नीतीश कुमार बुर्का हटाते हैं तो कुछ लोगों को धर्म खतरे में नजर आने लगता है. उन्होंने सवाल उठाया कि शामली में बुर्का न पहनने पर जब एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और दो बेटियों की हत्या कर दी, तब धर्म खतरे में क्यों नहीं आया. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों पर चुप्पी क्यों साध ली जाती है.
साध्वी प्राची और क्या कहा?
साध्वी प्राची ने आगे कहा कि जब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के अंडरगार्मेंट्स हवा में उछाले जाते हैं, तब मुस्लिम धर्म खतरे में नहीं आता है. उन्होंने दावा किया कि बुर्के की आड़ में फर्जी वोटिंग होती है और इसी वजह से बुर्का बैन होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मदरसों और कुरान पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. उनके अनुसार ऐसा होने से अपराधों पर रोक लगेगी.
समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी द्वारा हिंदू पद्धति से शव दाह को प्रदूषण से जोड़ने वाले बयान पर साध्वी प्राची ने पलटवार किया. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी अब नमाजवादी पार्टी बन चुकी है. उन्होंने सवाल किया कि करोड़ों बीघा जमीन में बने कब्रिस्तानों से क्या प्रदूषण नहीं फैलता है.
साध्वी प्राची ने ईद को लेकर क्या कहा?
साध्वी प्राची ने ईद के मौके पर भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि ईद पर सड़कों पर बकरे काटे जाते हैं और उनके अवशेष फेंके जाते हैं, जिससे सड़कें लहू लुहान हो जाती हैं. उन्होंने सवाल किया कि उस समय समाजवादी पार्टी को प्रदूषण क्यों नजर नहीं आता है.
मदरसों में क्यों नहीं जाते संता क्लॉज?
क्रिसमस को लेकर भी साध्वी प्राची ने विवादित टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि संता क्लॉज स्कूलों में ही क्यों जाते हैं. मदरसों में क्यों नहीं जाते. वहां भी टोपियां बांटी जानी चाहिए. उनके इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस तेज हो गई है.
नीतीश कुमार के हिजाब विवाद को लेकर विपक्षी दलों और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कड़ा विरोध किया है. कई संगठनों ने मुख्यमंत्री से सार्वजनिक माफी की मांग की है. वहीं दूसरी ओर कुछ हिंदू संगठनों और साधु संतों ने इसे गलत तरीके से पेश किया गया मामला बताया है.
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