Jojri River Pollution: जोजरी नदी का पानी जहरीला होने से 20 लाख लोगों के जीवन पर संकट, सुप्रीम कोर्ट ने अपनाया सख्त रुख
जोजरी नदी राजस्थान में औद्योगिक कचरे से जहरीली हो गई है, जिससे 20 लाख लोग प्रभावित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिपोर्ट मांगी है. दशकों से फैक्ट्रियों के जहरीले रसायन नदी को प्रदूषित कर रहे हैं, जिससे फसलें, पशु और इंसान गंभीर संकट में हैं. करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद स्थिति नहीं सुधरी है.
Jojri River Pollution: राजस्थान की जोजरी नदी औद्योगिक कचरे और जहरीले रसायनों के कारण गंभीर प्रदूषण का शिकार हो गई है. नागौर, जोधपुर और बालोतरा जिलों से होकर बहने वाली यह नदी अब लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बन चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अपनाया है और इसे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के समक्ष भेजने का आदेश दिया है ताकि जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए जा सकें.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि फैक्ट्रियों से छोड़ा जा रहा औद्योगिक अपशिष्ट सैकड़ों गांवों को प्रभावित कर रहा है. ग्रामीणों को साफ पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, जिससे जीवन संकट में पड़ गया है. जोजरी नदी नागौर के पूंडलू गांव से निकलकर जोधपुर में लूनी नदी से मिलती है. दशकों से स्टील, टेक्सटाइल और टाइल फैक्ट्रियों के रसायन नदी में बहाए जा रहे हैं. इनमें सल्फर, लेड और कैडमियम जैसे जहरीले पदार्थ शामिल हैं. ये सीवेज के साथ मिलकर पानी को पूरी तरह जहरीला बना रहे हैं.
प्रदूषित पानी का इस्तेमाल
इस प्रदूषण से जोधपुर और पाली जिले के डोली, अरबा, कल्याणपुर जैसे करीब 100 गांव प्रभावित हैं. लगभग 20 लाख लोग, हजारों पशु और किसान सीधे तौर पर संकट में हैं. सिंचाई के लिए किसान प्रदूषित पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे फसलें भी जहरीली हो रही हैं. परिणामस्वरूप ग्रामीणों में त्वचा रोग, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं.
राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में कहा कि यह मामला पर्यावरण संरक्षण और संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीवन के अधिकार से जुड़ा हुआ है. कोर्ट ने राजस्थान सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी RSPCB से तत्काल रिपोर्ट पेश करने को कहा है. पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि जोजरी का प्रदूषण न केवल जल संकट बढ़ा रहा है, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर रहा है.
नहीं हुआ कोई ठोस सुधार
2019 से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर 73 फैक्ट्रियां बंद की जा चुकी हैं, लेकिन अवैध डंपिंग अब भी जारी है. राजस्थान सरकार ने 2023 में 400 करोड़, 2024 में 172.58 करोड़ और 2025-26 में 176 करोड़ रुपये प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवंटित किए, लेकिन सही उपयोग न होने से कोई ठोस सुधार नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी यमुना नदी, जल महल झील और पोलर नदी मामलों में हस्तक्षेप किया है. अब जोजरी नदी के मामले में भी उम्मीद जताई जा रही है कि सख्त कदम उठाए जाएंगे और फैक्ट्रियों पर कार्रवाई होगी.