पंजाब की बाढ़ ने लाखों जिंदगियां तबाह कीं, लेकिन केंद्र का राहत वादा कागजों तक सिमट कर रह गया. 1600 करोड़ रुपए की घोषणा के बावजूद एक भी पैसा न मिलने से गुस्साए AAP विधायकों ने विधानसभा में केंद्र को आड़े हाथों लिया. यह प्रदर्शन केवल राहत की मांग नहीं, बल्कि पंजाब के आत्मसम्मान और किसानों की अनदेखी के खिलाफ एक नई जंग का आगाज है.
केंद्र का खोखला वादा
मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में AAP ने केंद्र के 1600 करोड़ रुपए के पैकेज को 'पंजाब का अपमान' बताया. वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि बाढ़ ने 1.91 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद कीं, सड़कें टूटीं और घर उजड़े, लेकिन केंद्र ने केवल 'झुनझुना' थमाया. 9 सितंबर को प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान घोषित राशि आज तक पंजाब नहीं पहुंची. यह देरी पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़क रही है.
किसानों की अनसुनी पुकार
पंजाब के किसान, जो बाढ़ में सब कुछ खो चुके, अब केंद्र की उदासीनता से आहत हैं. जल संसाधन मंत्री ब्रिंदर गोयल ने कहा कि 1600 करोड़ रुपए नुकसान की भरपाई के लिए नाकाफी है. राज्य ने 20,000 करोड़ रुपए की मांग की थी, लेकिन केंद्र ने इसे नजरअंदाज किया. विधानसभा में प्रस्ताव पास कर AAP ने मांग की कि कम से कम 60,000 हजार करोड़ का पैकेज दिया जाए ताकि किसानों को मुआवजा और बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण हो सके.
विपक्ष पर भी निशाना
AAP ने कांग्रेस पर भी हमला बोला, जिसने संकट में पंजाब का साथ नहीं दिया. चीमा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने बीजेपी के साथ मिलकर पंजाब को धोखा दिया. विधानसभा में प्लेकार्ड और नारों के साथ विधायकों ने केंद्र और विपक्ष की दोहरी नीति को उजागर किया. यह प्रदर्शन पंजाब की जनता में एक नई जागरूकता पैदा कर रहा है.
पंजाब की हक की लड़ाई
मुख्यमंत्री मान ने विधानसभा से साफ संदेश दिया कि पंजाब अब केवल वादों पर नहीं चलेगा. यह आंदोलन सिर्फ राहत का नहीं, बल्कि पंजाब की इज्जत और हक का सवाल है. AAP का यह कदम केंद्र को जवाबदेही के लिए मजबूर कर रहा है. जनता के बीच यह मुद्दा अब एक भावनात्मक जंग बन चुका है, जो पंजाब के भविष्य को नई दिशा दे सकता है.