Operation Jeevanjyot Punjab: पंजाब में एक नई रोशनी जगमगा रही है, जो सड़कों पर भटकते बच्चों के जीवन को स्कूलों की दहलीज तक ले जा रही है. आम आदमी पार्टी की मान सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘ऑपरेशन जीवनज्योत’ अभियान न केवल बच्चों को भिक्षावृत्ति और शोषण के दलदल से निकाल रहा है, बल्कि उन्हें शिक्षा, सम्मान और एक बेहतर भविष्य की ओर ले जा रहा है. यह अभियान समाज की सामूहिक संवेदना का प्रतीक बन चुका है. पिछले नौ महीनों में पंजाब की गलियों, चौराहों, रेलवे स्टेशनों, मंदिरों और ट्रैफिक सिग्नलों से 367 बच्चों को बचाया गया है.
ये वो बच्चे हैं, जिनके हाथों में किताबों की जगह मजबूरी ने कटोरा थमा दिया था. यह आंकड़ा सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि 367 कहानियां हैं- बचपन को वापस लाने की, गरिमा को फिर से स्थापित करने की. सितंबर 2024 में शुरू हुए इस अभियान के तहत 753 बचाव अभियानों में रैग-पिकिंग और बाल भिक्षावृत्ति जैसी सामाजिक बुराइयों पर नकेल कसी गई. इनमें से 350 बच्चों को उनके परिवारों के पास सुरक्षित पहुंचाया गया, जबकि 17 बच्चों को, जिनके परिजनों का कोई पता नहीं चला, बाल गृहों में आश्रय दिया गया. सबसे प्रेरणादायक बात यह है कि 183 बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाया गया और 13 छोटे बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में शामिल किया गया.
आर्थिक सहायता और दीर्घकालिक निगरानी
‘ऑपरेशन जीवनज्योत’ सिर्फ बच्चों को बचाने तक सीमित नहीं है. सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि ये बच्चे दोबारा सड़कों पर न लौटें. 30 बच्चों के परिवारों को ₹4,000 मासिक आर्थिक सहायता दी जा रही है ताकि उनकी शिक्षा निर्बाध जारी रहे. इसके अलावा, 16 बच्चों को पेंशन योजनाओं और 13 बच्चों को स्वास्थ्य बीमा से जोड़ा गया है. हर तीन महीने में जिला बाल संरक्षण इकाइयां इन बच्चों की स्थिति की जांच करती हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो कि वे स्कूल जा रहे हैं और उनकी जिंदगी पटरी पर है. हालांकि, 57 बच्चे फॉलोअप में नहीं मिल पाए, जो एक चिंता का विषय है. इस कमी को दूर करने के लिए प्रोजेक्ट जीवनज्योत-2 शुरू किया गया है, जिसमें और सख्त रणनीतियां अपनाई जा रही हैं.
डीएनए टेस्ट और सख्त कानूनी कदम
अब बच्चों के साथ पाए जाने वाले वयस्कों का डीएनए परीक्षण किया जा रहा है ताकि उनके असली माता-पिता का पता लगाया जा सके. यह कदम बच्चों को मानव तस्करी और शोषण से बचाने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है. हाल ही में, 17 जुलाई को 17 छापेमारी अभियानों में 21 बच्चों को रेस्क्यू किया गया, जिनमें मोहाली से 13, अमृतसर से 4, और बर्नाला, मानसा व फरीदकोट से अन्य बच्चे शामिल थे. बठिंडा में 20 बच्चों की डीएनए टेस्टिंग के लिए पहचान की गई है.कानूनी तौर पर, अब बाल भिक्षावृत्ति या मानव तस्करी में लिप्त व्यक्तियों को 5 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. यदि कोई अभिभावक अपने बच्चे को बार-बार इस दलदल में धकेलता है, तो उसे ‘अनफिट पेरेंट’ घोषित कर बच्चे की जिम्मेदारी राज्य ले सकता है.
समाज का सहयोग: एक नई मिसाल‘
ऑपरेशन जीवनज्योत’ की सफलता का राज इसमें शामिल विभिन्न हितधारकों का सहयोग है. स्थानीय प्रशासन, पुलिस, डॉक्टर, शिक्षक, सामाजिक संगठन और स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर इस अभियान को एक जनांदोलन बना रहे हैं. यह सहयोग इस बात का प्रमाण है कि जब समाज एकजुट होता है, तो हर बच्चे का बचपन मुस्कुरा सकता है.
एक नए पंजाब का सपना
‘ऑपरेशन जीवनज्योत’ सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक संकल्प है—एक ऐसा पंजाब बनाने का, जहां कोई बच्चा भूखा न सोए, सड़कों पर न भटके, और अपनी पहचान न खोए. यह अभियान न केवल नीतियों, बल्कि संवेदना से प्रेरित एक व्यवस्था का प्रतीक है.