इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराजा यशवंतराव में हुई यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं बल्कि सरकारी लापरवाही की एक काली तस्वीर है. नवजात शिशुओं की जान जहां सुरक्षित रहनी चाहिए थी, वहीं चूहों ने ICU में बच्चों को काटकर उनकी जिंदगी छीन ली. घटना ने न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोली है बल्कि राजनीतिक तूफान भी खड़ा कर दिया है.
अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी वार्ड में 30 और 31 अगस्त की रात दो नवजातों को चूहों ने काट लिया. एक शिशु का वजन महज 1.2 किलो था और दूसरा भी गंभीर हालत में भर्ती था. एक बच्चे की मौत मंगलवार को और दूसरे की बुधवार को हो गई. डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की हालत पहले से नाजुक थी, लेकिन चूहों के काटने से संक्रमण और चोट ने स्थिति और बिगाड़ दी. अस्पताल प्रशासन ने सुरक्षा प्रोटोकॉल टूटने को स्वीकार करते हुए जांच समिति गठित की है.
घटना पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा 'यह कोई हादसा नहीं, सीधी हत्या है. यह घटना इतनी भयानक और अमानवीय है कि सुनकर ही रूह कांप जाती है. जब सरकार नवजातों की सुरक्षा तक सुनिश्चित नहीं कर सकती तो उसे शासन करने का अधिकार ही नहीं है.' राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री को शर्मिंदा होकर जिम्मेदारी लेने की नसीहत दी. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी अस्पताल गरीबों के लिए अब 'मौत के अड्डे' बन गए हैं, जबकि अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं सिर्फ अमीरों तक सीमित हैं.
इंदौर में मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में दो नवजात शिशुओं की चूहों के काटने से मौत - यह कोई दुर्घटना नहीं, यह सीधी-सीधी हत्या है। यह घटना इतनी भयावह, अमानवीय और असंवेदनशील है कि इसे सुनकर भी रूह कांप जाए।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 4, 2025
एक मां की गोद से उसका बच्चा छिन गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि सरकार… pic.twitter.com/4u1IBzobay
वहीं डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने माना कि सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ. कर्मचारियों ने बताया कि घटना से चार-पांच दिन पहले भी वार्ड में चूहे दिखाई दिए थे, लेकिन किसी ने शिकायत नहीं की. इस चूक ने नवजातों की जान ले ली. फिलहाल कुछ कर्मचारियों को निलंबित किया गया है और जांच शुरू कर दी गई है, लेकिन सवाल यह है कि जिस ICU में बच्चों की जान सुरक्षित रहनी चाहिए थी, वहां चूहों का घूमना कैसे संभव हुआ.
जन स्वास्थ्य अभियान मध्य प्रदेश के प्रतिनिधि अमुल्य निधि ने कहा कि यह घटना गंभीर लापरवाही का नतीजा है. संगठन ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से स्वतंत्र जांच की मांग की है. उनका कहना है कि स्वच्छता और सुरक्षा की अनदेखी ने मासूम बच्चों की जान ले ली. अब जरूरी है कि दोषियों को कड़ी सजा मिले और अस्पतालों में वास्तविक सुधार किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी भयावह घटना दोबारा न हो.