विवादित टिप्पणी से सुर्खियों में आए IAS संतोष वर्मा की उल्टी गिनती शुरू! पद से हटाने के बाद एक और एक्शन लेने की तैयारी

मध्य प्रदेश सरकार ने विवादित और जाति-आधारित बयानों से चर्चा में आए IAS संतोष वर्मा पर कड़ा कदम उठाया है. उन्हें कृषि विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी पद से हटा दिया गया और केंद्र को उनकी IAS सेवा समाप्त करने का प्रस्ताव भेजा गया है.

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Princy Sharma

मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश सरकार ने IAS अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है, जो हाल ही में अपने विवादित और जाति-आधारित बयानों की वजह से पूरे देश में सुर्खियों में आए थे. राज्य सरकार ने न केवल उन्हें एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में डिप्टी सेक्रेटरी के पद से हटाया है, बल्कि केंद्र सरकार को एक फॉर्मल प्रपोजल भी भेजा है जिसमें उन्हें इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) से निकालने की सिफारिश की गई है. 

इसे एक बहुत कम होने वाला और कड़ा कदम माना जा रहा है, क्योंकि IAS से निकालने का आदेश केंद्र सरकार द्वारा भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी से ही दिया जा सकता है. एक ऑफिशियल बयान के मुताबिक, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट से हटाए जाने के बाद, संतोष वर्मा को अब जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (GAD) में अटैच कर दिया गया है. खास बात यह है कि उन्हें कोई डिपार्टमेंट और कोई ऑफिशियल काम नहीं दिया गया है, जिससे साफ पता चलता है कि राज्य सरकार इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रही है.

विवाद किस वजह से शुरू हुआ?

यह विवाद 23 नवंबर को तब शुरू हुआ, जब संतोष वर्मा ने भोपाल में एक पब्लिक इवेंट में एक ऐसी बात कही, जिसे कई लोगों ने गलत और जाति के आधार पर भेदभाव वाला पाया. वायरल वीडियो में उन्होंने कहा, 'जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी की शादी मेरे बेटे से नहीं कर देता, तब तक रिजर्वेशन जारी रहना चाहिए.' यह बात तेजी से सोशल मीडिया पर फैल गई और इससे बहुत गुस्सा फैल गया, खासकर ब्राह्मण समुदाय के लोगों में. 

कुछ ही दिनों में, कम से कम 65 ब्राह्मण संगठन एक साथ आए और भोपाल में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया. उन्होंने ऐलान किया कि वे राज्य सेक्रेटेरिएट के बाहर प्रदर्शन करेंगे और संतोष वर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होने पर राज्य भर में बंद की धमकी भी दी. उन्होंने 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री के घर तक मार्च करने की योजना का भी ऐलान किया.

एक और बात ने आग में घी डाला

जब यह विवाद काफी बड़ा लग रहा था, तभी संतोष वर्मा का एक और वीडियो सामने आया. इस वीडियो में, उन्होंने दावा किया कि हाई कोर्ट शेड्यूल्ड ट्राइब (ST) कैटेगरी के बच्चों को सिविल जज बनने से रोक रहा है. उन्होंने कहा, 'यह हाई कोर्ट ही है जो ST बच्चों को सिविल जज नहीं बनने दे रहा है. फिर भी यह वही हाई कोर्ट है जिससे हम संवैधानिक सुरक्षा की उम्मीद करते हैं.'  जनता का दबाव बढ़ने पर, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने GAD को सख्त और तुरंत कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया.

IAS प्रमोशन में धोखाधड़ी के आरोप

उनके बयानों के साथ विवाद खत्म नहीं होता है. सरकार ने खुलासा किया कि संतोष वर्मा ने स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (SAS) से IAS में प्रमोशन पाने के लिए नकली और जाली डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल किया था. अधिकारियों के अनुसार, उनके खिलाफ अलग-अलग कोर्ट में कई क्रिमिनल केस पेंडिंग हैं. सरकार ने कहा कि प्रमोशन के लिए जरूरी इंटीग्रिटी सर्टिफिकेट भी धोखाधड़ी से हासिल किया गया था. इस मामले पर डिपार्टमेंटल जांच अपने आखिरी स्टेज में है और वर्मा के शो-कॉज नोटिस के जवाब को असंतोषजनक माना गया.

सरकार क्या कहती है?

अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार किसी IAS अधिकारी को सस्पेंड कर सकती है लेकिन बर्खास्त नहीं कर सकती. राष्ट्रपति की मंजूरी से सिर्फ केंद्र सरकार के पास ही किसी IAS अधिकारी को नौकरी से हटाने का अधिकार है. इसीलिए मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी सिफारिश केंद्र को भेजी है. सरकार ने यह भी बताया कि वर्मा बार-बार अशोभनीय और गलत बयान दे रहे हैं, जिसकी वजह से उन्होंने उनके खिलाफ चार्जशीट भी जारी की है.

आगे क्या होगा?

अब, सब देख रहे हैं कि केंद्र सरकार संतोष वर्मा को नौकरी से निकालने की राज्य की सिफारिश पर क्या जवाब देगी. अगर इसे मंजूरी मिल जाती है, तो यह उन बहुत कम मामलों में से एक बन सकता है जहां किसी IAS अधिकारी को गलत काम और कथित धोखाधड़ी वाले प्रमोशन दोनों की वजह से नौकरी से हटाया गया हो.