अनूपपुर जिले के सकरिया गांव में हुई यह घटना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती. भैयालाल राजक का निजी जीवन बेहद उलझा हुआ था. तीन शादियां, संतान की चाह और रिश्तों का जाल, इन सबके बीच पनप रहा था एक खतरनाक षड्यंत्र, जिसने आखिरकार उनकी जान ले ली. हत्या का तरीका और उसके पीछे की साजिश ने पूरे गांव को सन्न कर दिया है.
भैयालाल राजक ने तीन शादियां की थीं. पहली पत्नी उन्हें छोड़कर चली गई थी. दूसरी पत्नी गुड्डीबाई से उनकी कोई संतान नहीं हुई. वारिस की चाह में उन्होंने गुड्डीबाई की ही छोटी बहन मुन्नी उर्फ विमला से शादी कर ली. मुन्नी से उन्हें दो बच्चे भी हुए. दिखने में यह रिश्ता सामान्य लग रहा था, लेकिन मुन्नी का गुप्त प्रेम संबंध एक बड़े षड्यंत्र का कारण बन गया.
पुलिस जांच में सामने आया कि मुन्नी का स्थानीय प्रॉपर्टी डीलर नारायण दास कुशवाहा उर्फ लल्लू के साथ अवैध संबंध था. दोनों के रिश्ते इतने गहरे हो गए थे कि उन्होंने भैयालाल को रास्ते से हटाने की योजना बना ली. साजिश को अंजाम देने के लिए उन्होंने 25 वर्षीय मजदूर धीरेज कोल को साथ मिला लिया.
30 अगस्त की रात जब भैयालाल अपने अधनिर्मित मकान में चारपाई पर सो रहे थे, तभी रात करीब दो बजे लल्लू और धीरेज वहां पहुंचे. उन्होंने लोहे की रॉड से उनके सिर पर वार कर उन्हें मौके पर ही मार डाला. हत्या के बाद शव को बोरे और कंबल में लपेटा गया, रस्सी और साड़ियों से बांधकर गांव के कुएं में फेंक दिया गया. सोच-समझकर बनाई गई यह योजना कुछ ही घंटों में खुल गई.
अगली सुबह दूसरी पत्नी गुड्डीबाई ने कुएं में कुछ तैरता देखा. पास जाकर देखने पर वह सन्न रह गईं. वह उनके पति का शव था, जिसे बुरी तरह बांधा गया था. गांव में अफरा-तफरी मच गई और तुरंत पुलिस को खबर दी गई. कुएं का पानी निकालकर शव और भैयालाल का मोबाइल फोन बरामद किया गया. पोस्टमार्टम में सिर पर गंभीर चोटों से मौत की पुष्टि हुई.
मामले की गंभीरता को देखते हुए कोतवाली पुलिस ने जांच तेज की। सिर्फ 36 घंटे में पुलिस ने पूरे हत्याकांड का खुलासा कर दिया। एसपी मोती उर रहमान ने बताया कि भैयालाल की हत्या उनकी तीसरी पत्नी मुन्नी, उसके प्रेमी लल्लू और धीरेज कोल ने मिलकर की। सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और मोबाइल फोन समेत अहम सबूत बरामद कर लिए गए हैं।