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India Daily

आवारा कुत्ते ने ली 4 साल की बच्ची की जान, चार महीने पहले मुंह नोंचने के बाद रेबीज की चपेट में आई

कर्नाटक के दावणगेरे में आवारा कुत्ते के काटने की वजह से चार साल की बच्ची की मौत हो गई. इस घटना ने एक बार फिर आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक को लेकर सवाल उठाया है. बेंगलुरु के अस्पताल में इलाज के दौरान रेबीज की वजह से बच्ची ने अपनी जान खो दी.

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Edited By: Shanu Sharma
Khadeera Banu
Courtesy: Social Media

Dog Bites Girl in Bengaluru: कर्नाटक के दावणगेरे में कुत्ते के काटने की वजह से चार महीने बाद एक चार साल की बच्ची की रेबीज से मौत हो गई. बेंगलुरु के राजीव गांधी अस्पताल में मंगलवार को इलाज के दौरान चार साल की बच्ची खदीरा बानू की मौत हो गई.  

खदीरा की मौत ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा कुत्तों को लेकर सुनाए गए फैसले पर लोगों का ध्यान खींचा है. बच्ची के परिवार वालों का कहना है कि आज से लगभग चार महीने पहले अप्रैल में जब बच्ची खेल रही थी, इसी दौरान आवार कुत्ते ने बच्ची पर हमला कर दिया. 

खेलते समय कुत्तों ने किया हमला

परिवार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक कुत्ते ने बच्ची के चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर हमला किया था. जिसकी वजह से बच्ची बुरी तरह घायल हो गई. इस हमले के दौरान बच्ची के परिवार वाले आसपास मौजूद नहीं थे हालांकि आवाज सुनकर वे वहां पहुंचे और उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया. इलाज के दौरान बच्ची को बेहतर इलाज के लिए बेगलुरु स्थानांतरित कर दिया गया. जिसके बाद आज इस बात की पुष्टि की गई बच्ची इस जंग को हार गई और रेबीज की वजह से उसकी मौत हो गई. इस घटना ने हाल ही में कुत्तों के काटने से रेबीज़ से होने वाली मौतों के मामलों को लेकर एक बार फिर सवाल उठाया है. 

आवारा कुत्ते के मामलों पर देश में बहस

गौरतलब है कि कर्नाटक के लोकायुक्त न्यायमूर्ति बीएस पाटिल ने इस महीने की शुरुआत में शहर में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों से निपटने में विफल रहने के लिए बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) की खिंचाई की थी. कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में कुत्तों के काटने और रेबीज से होने वाली मौतों के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार कुत्ता आश्रय स्थलों में ऐसे पेशेवर होने चाहिए जो कुत्तों को संभाल सकें, उनकी नसबंदी, टीकाकरण कर सकें और उन्हें बाहर न जाने दें. अदालत ने यह भी चेतावनी दी है कि जो भी संगठन इसे रोकेगा, उसके खिलाफ 'कड़ी कार्रवाई' की जाएगी. हालांकि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को सुरक्षित रखा है.