RSS Activities Ban: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, सार्वजनिक मैदानों और सरकारी भूमि पर आरएसएस की शाखाएं लगाने पर रोक का आदेश जारी किया है. यह कदम राज्य के मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे की अनुशंसा के बाद उठाया गया है.
खरगे ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा था, 'जब समाज में नफरत फैलाने वाली विभाजनकारी ताकतें सिर उठाती हैं, तो हमारे संविधान के मूल सिद्धांत, एकता, समानता और अखंडता, हमें उन्हें रोकने का अधिकार देते हैं.' उन्होंने आगे लिखा कि आरएसएस की शाखाओं में लाठी (दंड) के साथ किए जाने वाले 'आक्रामक प्रदर्शन' से बच्चों और युवाओं के मन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.
प्रियांक खरगे ने अपने बयान में आरोप लगाया कि आरएसएस की शाखाएं राज्यभर में सरकारी स्कूलों, मंदिरों, पार्कों और पुरातत्व स्थलों पर चल रही हैं, जिनमें बिना अनुमति के 'आक्रामक गतिविधियां' की जाती हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में अनुशासन के नाम पर दिखाया जाने वाला आक्रामक रवैया युवाओं में नफरत और विभाजन की भावना बढ़ा सकता है. हालांकि, आरएसएस की ओर से इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन भाजपा ने इसे कांग्रेस की 'विचारधारा आधारित नफरत' बताया है.
कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने प्रियांक खरगे के पत्र पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, 'प्रियांक खरगे कौन होते हैं ऐसे पत्र लिखने वाले? आरएसएस पर बोलने से पहले उन्हें इसके योगदान को समझना चाहिए.' विजयेंद्र ने आगे कहा कि भारत-चीन युद्ध के दौरान आरएसएस की भूमिका की सराहना खुद कांग्रेस सरकार ने की थी और उसे गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था.
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, 'प्रियांक खरगे को अपने क्षेत्र गुलबर्गा के विकास पर ध्यान देना चाहिए, न कि मीडिया की सुर्खियों में आने के लिए आरएसएस को निशाना बनाना चाहिए.'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास में अब तक तीन बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है.
अब, आरएसएस अपनी शताब्दी वर्ष मना रहा है, और ऐसे समय में कांग्रेस सरकार का यह कदम एक राजनीतिक और वैचारिक टकराव के रूप में देखा जा रहा है.