NDA की बिहार में 10 हजार की स्कीम से घबराई कांग्रेस, कर्नाटक को लेकर हुई बैठक में छाया रहा मुद्दा

बिहार चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने एक अहम बैठक में हार के कारणों पर चर्चा की है. नेताओं ने देरी से टिकट बंटवारे, अंदरूनी कलह और एनडीए की महिलाओं के लिए 10,000 रुपये योजना को मुख्य वजह बताया.

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Kuldeep Sharma

बिहार विधानसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने दिल्ली में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्य इकाई के नेताओं से विस्तृत फीडबैक लिया. 

बैठक के दौरान नेताओं ने माना कि संगठनात्मक कमजोरियां, उम्मीदवार चयन में देरी और आपसी मतभेदों ने पार्टी की चुनावी उम्मीदों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया. साथ ही उन्होंने स्वीकार किया कि एनडीए की महिलाओं को दिया जाने वाला 10,000 रुपये का प्रोत्साहन भत्ता वोटरों पर बड़ा असर छोड़ गया.

हार की वजहों पर खुलकर चर्चा

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की मौजूदगी में हुई बैठक में बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने माना कि पार्टी चुनावी लड़ाई में एकजुटता के साथ उतर ही नहीं पाई. कई नेताओं ने कहा कि टिकट वितरण में हुई देरी और आखिरी समय में बदले गए उम्मीदवारों ने जमीनी समीकरणों को बिगाड़ दिया. इससे पार्टी कैडर में भ्रम भी फैला और प्रचार की गति कमजोर पड़ गई.

अंदरूनी खींचतान बनी बड़ी चुनौती

नेताओं ने साफ कहा कि प्रदेश संगठन में महीनों से चल रहे मतभेद और गुटबाजी ने चुनाव परिणामों पर गहरा प्रभाव डाला. बैठक में यह भी कहा गया कि कई क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर सहयोग की कमी के कारण चुनाव अभियान कमजोर पड़ा. कुछ नेताओं के अनुसार, कार्यकर्ताओं के बीच भरोसे का माहौल नहीं बन पाया और इसका सीधा फायदा एनडीए को मिला.

NDA की महिला योजना ने बदला समीकरण

कांग्रेस नेताओं ने माना कि एनडीए सरकार की ओर से महिलाओं को 10,000 रुपये देने की योजना ने चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाई. ग्रामीण इलाकों में इस योजना का व्यापक असर देखने को मिला, जिससे महिला मतदाता बड़ी संख्या में एनडीए के पक्ष में वोट कर गईं. रिपोर्टों के अनुसार, यह योजना महागठबंधन की सामाजिक व आर्थिक रणनीति को मात देती दिखी.

सीटों के खराब प्रदर्शन ने बढ़ाई चिंता

2025 के चुनाव में कांग्रेस 61 सीटों पर उतरी और केवल छह सीट जीत पाई. यह पार्टी के लिए बेहद कमजोर स्ट्राइक रेट रहा. RJD जैसी मजबूत सहयोगी पार्टी भी इस बार केवल 25 सीटें जीत सकी. महागठबंधन कुल मिलाकर 243 में से सिर्फ 35 सीटों तक सिमट गया. छोटे सहयोगियों का प्रदर्शन भी उम्मीदों से कम रहा, जिससे विपक्ष की स्थिति और खराब हो गई.

NDA की भारी जीत और कांग्रेस की आगे की रणनीति

एनडीए ने 200 से अधिक सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत दर्ज किया. भाजपा 89 और जदयू 85 सीटें जीतकर फिर से सत्ता में लौट आई. बैठक में कांग्रेस नेतृत्व ने तय किया कि आने वाले महीनों में संगठन को मजबूत किया जाएगा, जिला स्तर पर समीक्षाएं होंगी और युवाओं व महिलाओं से जुड़ने के लिए नई योजनाएं तैयार की जाएंगी. नेताओं ने उम्मीद जताई कि पार्टी अपनी कमजोरियों को दूर कर अगले चुनाव में मजबूती से वापसी करेगी.