चीन 'जासूस पक्षी' भेजकर जुटा रहा खुफिया जानकारी! कर्नाटक के समुद्री तट के पास सीगल में मिला चीनी जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के करवार इलाके में थिम्मक्का गार्डन के पास एक सीगल पक्षी गिरा. इस बर्ड के ऊपर जीपीएस ट्रैकर लगा हुआ था, जिससे हर कोई हैरान रहा गया.

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Praveen Kumar Mishra

बेंगलुरु: कर्नाटक के तटीय इलाके में एक अजीब घटना ने सबको चौंका दिया है. एक समुद्री पक्षी सीगल पर चीन से जुड़ा जीपीएस ट्रैकर लगा हुआ मिला है. यह जगह भारतीय नौसेना के महत्वपूर्ण अड्डे के करीब है इसलिए जासूसी की आशंका पैदा हो गई है. 

हालांकि, अधिकारी कह रहे हैं कि यह शायद वैज्ञानिक रिसर्च का हिस्सा है लेकिन सतर्कता बरती जा रही है. अभी इसको लेकर अब तक कुछ अधिक स्पष्टता नहीं है.

घटना कैसे सामने आई?

उत्तर कन्नड़ जिले के करवार इलाके में थिम्मक्का गार्डन के पास समुद्र तट पर स्थानीय लोगों ने एक सीगल को देखा. यह पक्षी आराम कर रहा था लेकिन उसकी पीठ पर एक अजीब डिवाइस लगा हुआ था. लोगों को शक हुआ और उन्होंने वन विभाग की मरीन विंग को सूचना दी.

वन विभाग की टीम ने पक्षी को सुरक्षित पकड़ा और जांच की. डिवाइस पर चीनी एकैडमी ऑफ साइंसेज के इको-एनवायरनमेंटल साइंसेज रिसर्च सेंटर का मार्किंग था. यह एक जीपीएस ट्रैकर है, जो पक्षी की लोकेशन ट्रैक करता है. पक्षी को वन विभाग के ऑफिस में रखा गया है और उसकी देखभाल की जा रही है.

जासूसी की आशंका क्यों?

करवार में आईएनएस कदंबा नौसेना बेस है, जो भारत का बहुत महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाना है. यहां बड़े जहाज और पनडुब्बियां तैनात रहती हैं. ऐसे संवेदनशील इलाके में चीनी डिवाइस वाला पक्षी मिलना संदेह पैदा करता है. क्या यह रिसर्च के बहाने जासूसी का तरीका तो नहीं?

पक्षी ने की 10 हजार किमी से अधिक की यात्रा

कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पक्षी ने 10,000 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा की है. आर्कटिक इलाके से होते हुए भारत पहुंचा. लेकिन नौसेना बेस के इतने करीब पहुंचना सवाल उठाता है. सुरक्षा एजेंसियां डिवाइस की तकनीकी जांच कर रही हैं कि क्या यह सिर्फ लोकेशन ट्रैक करता है या कुछ और डेटा भेजता है.

अधिकारी क्या कह रहे हैं?

पुलिस और वन अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच में यह वैज्ञानिक अध्ययन लगता है. दुनिया भर में पक्षियों की माइग्रेशन, खाने की आदतें और यात्रा के रूट जानने के लिए ऐसे ट्रैकर लगाए जाते हैं. चीनी संस्था से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है ताकि पूरी जानकारी मिल सके.