menu-icon
India Daily

9 साल की नौकरी और 35000 सैलरी... इस व्यक्ति ने खुद को बताया बिना जंजीरों वाला गुलाम

Bengaluru News: बेंगलुरु के एक टेकी ने अपनी नौ साल की नौकरी को बेड़ी में जकड़ी गुलामी जैसा बताया और अपने चौंकाने वाले एक्सपीरियंस शेयर किया. 

auth-image
Edited By: Shilpa Srivastava
Bengaluru News
Courtesy: Freepik

Bengaluru News: बेंगलुरु के एक टेकी ने अपनी नौ साल की नौकरी को गुलामी जैसा बताया और अपने चौंकाने वाले एक्सपीरियंस शेयर किया. एक रेडिट पोस्ट में व्यक्ति ने बताया कि इतने सालों तक काम करने के बावजूद, जब उन्होंने कंपनी छोड़ी, तो उनकी मंथली सैलरी सिर्फ ₹35,000 थी. अब, एक ग्लोबल IT कंपनी में काम करते हुए उनकी सैलरी में 400% का इजाफा हुआ है. 

उन्होंने अपनी पोस्ट में बताया कि कंपनी में वार्षिक वृद्धि केवल 4-6% तक लिमिटेड थी, जिससे सैलरी में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हो पाती थी. साथ ही, प्रोग्रेशन सिस्टम भी कर्मचारियों को सब-लेवल्स पर ही शिफ्ट कर देता था, जिसमें न तो सैलरी बढ़ती थी और न ही काम के दायरे में कोई विस्तार होता था. उन्होंने बताया कि जब वो कंपनी छोड़ रहे थे, तो उनकी सैलरी ₹35,000 थी, जबकि अब वह ₹1.7 लाख कमा रहे हैं. इससे यह साफ होता है कि कैसे उनके पिछले इम्प्लॉयर ने मार्केट सैलरी को सही तरीके से अपडेट नहीं किया था.

खर्चों की भी दी लिस्ट: 

इसके अलावा, उन्होंने अन्य खर्चों की भी जानकारी दी जैसे कि कर्मचारियों को ₹3,200 प्रति माह ट्रांसपोर्टेशन के लिए चुकाने पड़ते थे और पार्किंग फीस भी अलग से थी. कंपनी के कैफेटेरिया में भी कीमतें बहुत ऊंची थीं, जैसे कि एक ग्लास जूस ₹40 का मिलता था, जो अब उनकी नई कंपनी में सस्ती कीमत पर मिलता है.

कंपनी में एक और समस्या थी, जहां कर्मचारियों को निश्चित समय तक ऑफिस में काम करना ही पड़ता था जिसे आईडी कार्ड स्वाइप के जरिए ट्रैक किया जाता था. इस वजह से कई कर्मचारी वीकेंड्स पर सिर्फ इस लिए ऑफिस जाते थे जिससे वे अपने वर्किंग आवर्स को पूरा कर सकें. 

उन्होंने भारत में सभी सेक्टर्स के लिए मिनिमम सैलरी पॉलिसी लागू करने की अपील की, जिससे कर्मचारियों को उनके काम का सही पैसा मिल सके और साथ ही लेबर पॉलिसी में भी सुधार करना चाहिए.