Bangalore Auto Fare: 1 किलोमीटर की सवारी 425 रुपये, बेंगलुरु में ऑटो किराए ने पार की सारी हदें, Reddit पर शेयर की सारी कहानी

बेंगलुरु में बारिश के दौरान एक यात्री को 1 किलोमीटर की ऑटो राइड के लिए 425 रुपये किराया दिखाया गया, जिससे सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ गया. लोगों ने कहा कि कैब और ऑटो सेवाएं अब विकसित देशों से भी महंगी हो गई हैं. ट्रैफिक, बढ़ती आबादी और कमजोर सार्वजनिक परिवहन ने समस्या को और गंभीर बना दिया है.

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Km Jaya

Bangalore Auto Fare: बेंगलुरु में ऑटो और कैब सेवाओं के दाम एक बार फिर सुर्खियों में हैं. हाल ही में एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर पोस्ट साझा कर बताया कि उनके दोस्त को केवल 1 किलोमीटर की ऑटो राइड के लिए 425 रुपये का किराया दिखाया गया. यह घटना बारिश के दौरान हुई, जब कैब सेवाओं की कीमतें अचानक कई गुना बढ़ गईं. इस पोस्ट में बताया गया कि ऑटो का किराया 425 रुपये था, जबकि कार की राइड का किराया लगभग 364 रुपये दिखाया गया.

जिसके बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कहा कि बेंगलुरु में कैब और ऑटो सेवाओं की दरें अब विकसित देशों की तुलना में भी अधिक हो गई हैं. एक यूजर ने लिखा कि जर्मनी में भी इतनी दूरी पर मर्सिडीज टैक्सी का किराया लगभग इतना ही होता है. वहीं, कुछ लोगों ने तंज कसते हुए कहा कि इतने दाम देखकर तो बेहतर है कि छाता लेकर पैदल ही चला जाए.

चालकों पर ओवरचार्जिंग के आरोप

बेंगलुरु का यह मामला कोई नया नहीं है. पहले भी शहर में ऑटो और कैब चालकों पर ओवरचार्जिंग के आरोप लगते रहे हैं. शहर की तेजी से बढ़ती आबादी, ट्रैफिक जाम और कमजोर सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है. लाखों लोग रोजाना आईटी हब होने के कारण सड़कों पर सफर करते हैं. वहीं, बारिश और पीक ऑवर के दौरान कैब सेवाओं पर मांग बढ़ जाती है, जिससे कीमतें अचानक कई गुना बढ़ जाती हैं.

कैब कंपनियों का तर्क

लोगों ने सवाल उठाया कि जब 1 किलोमीटर की दूरी के लिए इतनी ज्यादा कीमत वसूली जाती है, तो आम आदमी कैसे सफर कर पाएगा. ऑटो और कैब सेवाओं पर निर्भर लोग रोजाना इस तरह की दिक्कतों का सामना करते हैं. हालांकि, कैब कंपनियों का तर्क है कि यह कीमतें डिमांड और सप्लाई के आधार पर तय होती हैं. बारिश, ट्रैफिक और ईंधन की बढ़ती कीमतें भी किराए को प्रभावित करती हैं.

बिगड़ती शहरी योजना

जिला प्रशासन और परिवहन विभाग पहले भी ऑटो-टैक्सी किराए को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा चुके हैं, लेकिन स्थिति अब भी जस की तस बनी हुई है. बेंगलुरु की यह समस्या अब सिर्फ महंगे किराए तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शहर की बिगड़ती शहरी योजना और कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर को भी उजागर करती है.