तीन लाख सैलरी, मनचाही नौकरी...नीतीश कुमार के हिजाब खींचने से चर्चा में आई मुस्लिम महिला डॉक्टर को झारखंड सरकार का ऑफर
बिहार में महिला डॉक्टर नुसरत परवीन के साथ हुई घटना के बाद झारखंड सरकार ने उन्हें सम्मान, सुरक्षा और आकर्षक वेतन के साथ नौकरी का प्रस्ताव दिया, जिससे देशभर में महिला सम्मान पर नई बहस शुरू हुई.
पटना में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान महिला डॉक्टर नुसरत परवीन के साथ हुई घटना से विवाद खड़ा हो गया है. इस मामले के सामने आते ही राजनीति से लेकर चिकित्सा जगत तक तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं. झारखंड सरकार ने इस प्रकरण पर सख्त और संवेदनशील रुख अपनाते हुए डॉक्टर नुसरत परवीन को अपने राज्य में सम्मानजनक नौकरी का प्रस्ताव दिया है. यह फैसला महिला सुरक्षा, सम्मान और पेशेवर गरिमा से जुड़े सवालों को फिर केंद्र में ले आया है.
सीएम नीतीश ने खींचा था महिला का हिजाब
15 दिसंबर को पटना में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नियुक्ति पत्र देते समय आयुष डॉक्टर नुसरत परवीन का हिजाब सार्वजनिक रूप से हटा बैठे. यह पूरा दृश्य कैमरे में रिकॉर्ड हो गया. वीडियो सामने आते ही इसे महिला की गरिमा से जुड़ा गंभीर मामला बताया गया और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं शुरू हो गईं.
झारखंड सरकार ने किया सरकारी नौकरी देने का दावा
घटना के बाद झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने बड़ा कदम उठाया. उन्होंने डॉक्टर नुसरत परवीन को झारखंड स्वास्थ्य सेवा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया. प्रस्ताव में तीन लाख रुपये मासिक वेतन, मनचाही पोस्टिंग, सरकारी आवास और पूर्ण सुरक्षा शामिल है. नियुक्ति मुख्यमंत्री स्तर से किए जाने की बात कही गई है.
यह संविधान के मूल्यों पर हमला
डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि यह घटना केवल एक महिला डॉक्टर के साथ नहीं, बल्कि मानव गरिमा और संविधान के मूल्यों पर हमला है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वह पहले एक डॉक्टर हैं और किसी भी महिला या चिकित्सक के सम्मान से समझौता झारखंड में स्वीकार नहीं किया जाएगा.
विपक्ष ने जताया कड़ा विरोध
इस घटना पर कांग्रेस, आरजेडी समेत कई विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया. नेताओं ने मुख्यमंत्री के व्यवहार को अनुचित बताया और सार्वजनिक मंच पर महिला की निजी पहचान से छेड़छाड़ को अस्वीकार्य कहा. यह मामला अब राजनीतिक बहस का केंद्र बन चुका है.
महिला ने नौकरी लेने से किया इनकार
शुरुआती खबरों में कहा गया कि डॉक्टर नुसरत परवीन ने अपमान के कारण नौकरी लेने से इनकार कर दिया है. हालांकि 20 दिसंबर को आधिकारिक सूत्रों ने स्पष्ट किया कि वह सरकारी तिब्बी कॉलेज में अपनी नियुक्ति स्वीकार करेंगी. इसके बावजूद यह घटना लंबे समय तक चर्चा में रहने वाली है.