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100 years of Sangh: 'अंग्रेजी सीखने में कोई हर्ज नहीं', RSS प्रमुख मोहन भागवत ने NEP का समर्थन करते क्यों दिया ये बयान?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने संगठन के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में नई शिक्षा नीति का समर्थन करते हुए कहा कि अंग्रेज़ी सीखने में कोई समस्या नहीं है. उन्होंने शिक्षा को केवल जानकारी भरने का माध्यम मानने के बजाय संस्कारित और मूल्यपरक व्यक्तित्व निर्माण पर जोर दिया.

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Kuldeep Sharma

नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी वर्षगांठ पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मीडिया को संबोधित किया. यह आयोजन तीन दिनों तक चला, जिसमें उन्होंने शिक्षा, परंपरा, तकनीक और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाने पर विचार रखे. भागवत ने साफ कहा कि तकनीक और आधुनिकता शिक्षा के विरोधी नहीं हैं, बल्कि शिक्षा का मकसद संस्कार और संस्कृति के साथ जीवन मूल्यों को संवारना होना चाहिए.

मोहन भागवत ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं है, बल्कि व्यक्ति को संस्कारित बनाना है. उन्होंने पंचकोशीय शिक्षा (पांच आयामी समग्र शिक्षा) का जिक्र करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति इस दिशा में सार्थक कदम है. उनके मुताबिक शिक्षा के जरिए व्यक्ति को केवल ज्ञानवान नहीं बल्कि मूल्यवान और चरित्रवान बनाना जरूरी है.

अंग्रेज़ी और नई शिक्षा नीति पर विचार

अंग्रेज़ी शिक्षा पर बोलते हुए भागवत ने कहा कि अंग्रेज़ी सीखने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसके साथ-साथ हमें अपनी संस्कृति और परंपरा को भी साथ लेकर चलना चाहिए. उन्होंने जोर दिया कि हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो आधुनिक विज्ञान और तकनीक को अपनाए, लेकिन भारतीय मूल्यों और संस्कारों की नींव पर टिकी हो.

स्वदेशी और वैश्विक जुड़ाव

कार्यक्रम के दूसरे दिन उन्होंने स्वदेशी का ज़िक्र करते हुए कहा कि इसका वास्तविक अर्थ यह है कि राष्ट्र अपनी पसंद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवाद और सहयोग करे, न कि किसी दबाव में आकर. भागवत ने यह भी कहा कि आज की दुनिया में असहिष्णुता और कट्टरता बढ़ रही है, जहां लोग विपरीत विचारों को नकार देते हैं.

शताब्दी वर्ष की तैयारियां

गौरतलब है कि आरएसएस ने अपने 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर देशभर में बड़े स्तर पर जनसंपर्क अभियान की योजना बनाई है. इस दौरान एक लाख से अधिक 'हिंदू सम्मेलनों' का आयोजन होगा. इसकी शुरुआत इस वर्ष विजयादशमी (2 अक्टूबर) को नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में मोहन भागवत के संबोधन से होगी. इस पूरे अभियान का उद्देश्य संघ की विचारधारा को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना है.