दिल्ली की जहरीली हवा ने निगली लाल किले की लालिमा, दीवारों पर जम गई काली परत
दिल्ली की हवा में बढ़ते जहरीले तत्व अब ऐतिहासिक धरोहरों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. एक संयुक्त भारत-इटली अध्ययन में पाया गया है कि दिल्ली के लाल किले की लाल बलुआ पत्थर की दीवारों पर 'ब्लैक क्रस्ट्स' यानी प्रदूषण की परतें जम रही हैं, जो न केवल उसके रंग को बदल रही हैं, बल्कि उसकी संरचना को भी कमजोर कर रही हैं.
Red Fort turning black: दिल्ली का ऐतिहासिक लाल किला, जो भारत की मुगल विरासत और आजादी के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, अब धीरे-धीरे काला पड़ने लगा है. प्रदूषित हवा में मौजूद रासायनिक तत्व किले की दीवारों पर जमकर एक काली परत बना रहे हैं, जो उसकी खूबसूरती को निगलने के साथ-साथ पत्थरों को भी गलाने का काम कर रही है.
यह खुलासा भारतीय और इतालवी वैज्ञानिकों के एक संयुक्त अध्ययन में हुआ है, जो 2021 से 2023 के बीच किया गया और जून 2025 में Heritage जर्नल में प्रकाशित हुआ.
लाल किला क्यों हो रहा है काला?
अध्ययन के मुताबिक, किले की लाल बलुआ पत्थर की सतह पर 55 से 500 माइक्रोमीटर मोटी 'ब्लैक क्रस्ट्स' जम गई हैं. इनमें जिप्सम, क्वार्ट्ज और भारी धातुएं जैसे लेड, कॉपर और जिंक पाए गए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये परतें प्रदूषण से आने वाले कैल्शियम और अन्य तत्वों के कारण बनी हैं. समय के साथ ये परतें न केवल रंग बदल रही हैं, बल्कि पत्थर की ऊपरी सतह को भी झड़ने पर मजबूर कर रही हैं.
दिल्ली की हवा और धूल हैं मुख्य जिम्मेदार
शोधकर्ताओं ने बताया कि लाल किले की दीवारों पर जमा यह प्रदूषण तीन प्रमुख स्रोतों से आता है-
1. निर्माण और औद्योगिक गतिविधियां, वाहनों का धुआं और ईंधन का जलना.
2. निर्माण और उद्योगों से निकलने वाली धूल और कैल्शियम युक्त कण दीवारों पर जमते हैं.
3. वाहनों का उत्सर्जन धातु तत्व जैसे निकल, क्रोमियम, वैनाडियम और लेड छोड़ता है.
4. कोयला और तेल का दहन लगातार सल्फर और अन्य रासायनिक तत्वों को हवा में छोड़ता है, जो बलुआ पत्थर के साथ मिलकर रासायनिक क्षरण पैदा करते हैं.
5. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर यह स्थिति जारी रही, तो हुमायूं का मकबरा और सफदरजंग का मकबरा जैसे अन्य ऐतिहासिक स्मारक भी इसी तरह की क्षति झेल सकते हैं.
क्या लाल किले को बचाया जा सकता है?
विशेषज्ञों का कहना है कि अभी भी स्थिति पूरी तरह बेकाबू नहीं हुई है. अगर शुरुआती स्तर पर उपचार किया जाए, तो इन परतों को बिना नुकसान पहुंचाए हटाया जा सकता है. शोध रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि किले के जोखिमग्रस्त हिस्सों की नियमित सफाई और संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए. साथ ही, विशेष स्टोन-प्रोटेक्टिव कोटिंग्स का इस्तेमाल किया जाए ताकि नई परतें बनने से रोकी जा सकें.
विरासत की रक्षा अब हवा पर निर्भर
यह अध्ययन सिर्फ एक स्मारक की नहीं, बल्कि हमारी पूरी सांस्कृतिक धरोहर की चेतावनी है. दिल्ली की जहरीली हवा अब इतिहास की दीवारों को खा रही है. अगर वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वह लाल रंग, जिसने सदियों से आजादी की कहानी कही है, जल्द ही काले धब्बों में बदल जाएगा.
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