10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को लेकर बदल सकता है फैसला! दिल्ली सरकार कर रही है नए सिरे से विचार
सरकार का मानना है कि अगर बीएस-6 मानकों को पूरा करने वाले पुराने वाहन पर्यावरण को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं, तो उन्हें कुछ शर्तों के साथ चलने की अनुमति दी जा सकती है. इस पर अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा और सरकार की रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा.
Old vehicles Ban in Delhi: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में पुराने वाहनों पर लगे प्रतिबंध को लेकर अब नया मोड़ आ सकता है. दिल्ली सरकार इस नियम पर दोबारा विचार कर रही है और इसके असर का अध्ययन करा रही है. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि परिवहन और पर्यावरण विभाग मिलकर यह देख रहे हैं कि जीवन-समाप्ति वाले वाहनों (ELV) पर रोक से आम लोगों और अन्य हितधारकों पर क्या असर पड़ा है.
इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाकर उस आदेश की समीक्षा की मांग कर सकती है, जिसमें 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के चलने पर रोक लगाई गई थी.
अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट का
सरकार का मानना है कि अगर बीएस-6 मानकों को पूरा करने वाले पुराने वाहन पर्यावरण को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं, तो उन्हें कुछ शर्तों के साथ चलने की अनुमति दी जा सकती है. इस पर अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा और सरकार की रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा.
विभाग कर रहे हैं गहराई से अध्ययन
पर्यावरण और परिवहन विभाग मिलकर यह अध्ययन कर रहे हैं कि पुराने वाहनों पर प्रतिबंध से जमीन और हवा की गुणवत्ता में कितना सुधार आया है, और इस फैसले का आम जनता पर क्या असर पड़ा है. साथ ही, ये विभाग यह भी बता रहे हैं कि पिछले 5 महीनों में उन्होंने वायु प्रदूषण कम करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं और उनका असर कितना पड़ा है.
कोर्ट में जाएगी सरकार?
मंत्री सिरसा ने कहा कि जैसे ही सभी विभाग अपनी रिपोर्ट जमा कर देंगे, सरकार अध्ययन करेगी और तय करेगी कि सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की जाए या नहीं. यह याचिका खास तौर पर उन वाहनों के लिए हो सकती है जो बीएस-VI उत्सर्जन मानक वाले हैं और तकनीकी रूप से अधिक प्रदूषण नहीं करते.
पुराने नियमों की पृष्ठभूमि
2015 में एनजीटी ने आदेश दिया था कि 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन एनसीआर में नहीं चल सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने भी 2018 में इसे सही ठहराया था. 2021 से दिल्ली सरकार ने इन वाहनों का पंजीकरण रद्द करना शुरू किया और 2023 में अवैध रूप से खड़े या चलते वाहनों के खिलाफ अभियान भी चलाया. हालांकि कई वाहन मालिकों ने अदालत में याचिका दाखिल कर दी, जिससे सरकार पर दबाव बना कि वो ELV वाहनों को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाए.