दिल्ली में सांस लेना हुआ मुश्किल, फिर जहर बनी हवा, इन जगहों पर रेड जोन में पहुंचा एक्यूआई
दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर फिर खतरनाक हो गया है. कई इलाकों में AQI 300 के पार पहुंच गया है, जिससे हवा बेहद खराब श्रेणी में बनी हुई है. कम तापमान और कोहरे के कारण हालात और बिगड़ रहे हैं.
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का संकट एक बार फिर गंभीर स्तर पर पहुंच गया है. हवा लगातार जहरीली बनी हुई है और लोग हर सांस के साथ प्रदूषण झेलने को मजबूर हैं. 5 और 6 दिसंबर की सुबह कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार दर्ज किया गया, जो बहुत खराब और खतरनाक श्रेणी में आता है.
सर्दी के मौसम में प्रदूषण का बढ़ना अब हर साल की कहानी बन चुका है. तमाम योजनाओं और कोशिशों के बावजूद दिल्ली की हवा लगातार खराब होती जा रही है. राजधानी के साथ एनसीआर के अन्य शहरों की स्थिति भी चिंता बढ़ाने वाली है.
दिल्ली में AQI 300 के पार
6 दिसंबर की सुबह दिल्ली धुंध की मोटी परत में लिपटी हुई नजर आई. सुबह 8 बजे शहर का औसत AQI 323 दर्ज किया गया. यह स्तर बेहद खराब श्रेणी में आता है. कई इलाकों में तो यह रीडिंग और भी ऊपर चली गई. गाजीपुर और अक्षरधाम के पास सुबह घना कोहरा और धुआं छाया रहा. कम विजिबिलिटी के कारण सड़क पर चलना और गाड़ी चलाना मुश्किल हो गया.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा के अनुसार सुबह कई इलाकों में AQI इस प्रकार दर्ज किया गया
- आनंद विहार – 348
- सोनिया विहार – 343
- वजीरपुर – 358
- बवाना – 325
- अक्षरधाम – 348
- अलीपुर – 324
- बुराड़ी – 326
- चांदनी चौक – 352
- द्वारका – 343
- आई टी ओ – 322
- जहांगीरपुरी – 353
- रोहिणी – 363
- विवेक विहार – 355
- आर के पुरम – 374
- नरेला – 330
- मुंडका – 356
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि राजधानी का अधिकांश हिस्सा रेड जोन में है जहां हवा बेहद खराब स्तर पर है.
नोएडा गाजियाबाद गुरुग्राम भी नहीं बचे
दिल्ली की तरह एनसीआर के अन्य शहर भी प्रदूषण से जूझ रहे हैं. नोएडा में AQI 308, गाजियाबाद में 302 दर्ज किया गया. गुरुग्राम में इसका स्तर 293 रहा जबकि ग्रेटर नोएडा में 285 रहा. यह स्तर भी खराब और बहुत खराब श्रेणी में आते हैं. इन शहरों में रहने वाले लोग भी लगातार खांसी, जुकाम और सांस की दिक्कत की शिकायत कर रहे हैं. प्रदूषण के चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है.
सर्दी के दिनों में तापमान के गिरने से हवा की गति कम हो जाती है. हवा का प्रवाह धीमा रहने पर प्रदूषक कण वातावरण में फंस जाते हैं और ऊपर उठ नहीं पाते. यही कारण है कि धुआं, धूल और जहरीले कण जमीन के करीब जमा हो जाते हैं. इसके साथ ही सुबह और शाम के समय कोहरा और धुंध मिलकर स्थिति को और खराब बना देते हैं. उद्योगों, वाहनों का धुआं, निर्माण कार्य और कचरा जलाने की घटनाएं प्रदूषण को और बढ़ाती हैं.