Manish Sisodia Video Series: आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व शिक्षा मनीष सिसोदिया ने देश की शिक्षा व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन लाने के लिए एक अनूठी पहल की शुरुआत की है. उन्होंने “दुनिया की शिक्षा व्यवस्था और भारत” नाम की एक वीडियो सीरीज लॉन्च की, जिसका उद्देश्य जनता को शिक्षा के प्रति जागरूक करना और उन्हें अपने बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा के लिए सही नेताओं का चुनाव करने के लिए प्रेरित करना है.
मनीष सिसोदिया ने इस सीरीज के पहले एपिसोड में जापान, सिंगापुर, चीन, कनाडा और फिनलैंड जैसे देशों की शिक्षा प्रणालियों के बारे में बताया है. उन्होंने कहा, “भारत तब बदलेगा, जब शिक्षा बदलेगी और शिक्षा तब बदलेगी, जब हमारे नेताओं की सोच बदलेगी. इसलिए अगर नेताओं की सोच न बदले, तो नेता बदल दो.” इस सीरीज की प्रेरणा के बारे में बताते हुए मनीष सिसोदिया बोले, “कुछ दिन पहले मेरी और एआई ग्रॉक की शिक्षा पर बातचीत हुई. लाखों लोग हमारी चैट पढ़ रहे थे. लोग सवाल पूछ रहे थे. सुझाव दे रहे थे. लोगों की इस उत्सुकता को देखकर मैंने यह सीरीज शुरू की.”
जापान की शिक्षा पर की चर्चा
सिसोदिया ने जापान की शिक्षा व्यवस्था की चर्चा करते हुए बताया कि 1872 में जापान ने कानून बनाया कि हर बच्चे को शिक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा, “जापान के स्कूलों में बच्चे ‘मैं’ नहीं, ‘हम’ सीखते हैं. जिम्मेदारी और देशभक्ति उनकी दिनचर्या का हिस्सा है. स्कूलों में कोई सफाई कर्मचारी नहीं होता; बच्चे खुद अपनी कक्षा और शौचालय साफ करते हैं.” इस शिक्षा मॉडल ने परमाणु हमले से उबरने के बाद जापान को 20-25 सालों में टेक्नोलॉजी का बादशाह बना दिया.
सिंगापुर शिक्षा मॉडल पर की बात
1965 में आजाद हुए सिंगापुर की कहानी प्रेरणादायक है. सिसोदिया ने बताया, “सिंगापुर के पास न जमीन थी, न पानी, न संसाधन. लेकिन उनके पहले प्रधानमंत्री ली कुआन यू ने कहा, ‘हमारे पास बच्चे हैं. हम उन्हें शानदार शिक्षा देंगे.’” आज सिंगापुर में इंजीनियर से लेकर सफाई कर्मचारी तक को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और प्रशिक्षण मिलता है, जिसने इसे दुनिया के सबसे धनी देशों में शुमार किया.
चीन: मेहनत को जीवनशैली बनाने वाली शिक्षा
चीन की शिक्षा प्रणाली पर बात करते हुए सिसोदिया ने कहा, “चीन का उद्देश्य हर बच्चे को मेहनती बनाना है. वहां रिपोर्ट कार्ड में नंबरों के साथ मेहनत का मूल्यांकन भी दर्ज होता है.” उन्होंने बताया कि अभिभावकों को रोजाना बच्चे की मेहनत और प्रदर्शन की जानकारी दी जाती है, जिससे बच्चे आलस्य से दूर रहते हैं और वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाते हैं.
कनाडा और फिनलैंड की विश्वस्तरीय शिक्षा
कनाडा की शिक्षा व्यवस्था की तारीफ करते हुए सिसोदिया ने कहा, “वहां 100 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं. विभिन्नता को अवसर माना जाता है. संसद बच्चों की योग्यताओं के लक्ष्य तय करती है.” वहीं, फिनलैंड की शिक्षा प्रणाली को उन्होंने विश्व में सर्वश्रेष्ठ बताया. “फिनलैंड में टीचर बनना सबसे कठिन है. सरकार शिक्षकों की ट्रेनिंग पर निवेश करती है और उन पर भरोसा करती है.”
भारत के लिए सबक
सिसोदिया ने जोर देकर कहा कि भारत को अपनी जरूरतों के हिसाब से शिक्षा मॉडल चुनना होगा. “हमें जापान या सिंगापुर की नकल नहीं करनी. हमें अपने बच्चों के लिए जैसी शिक्षा चाहिए, वैसा नेता चुनना होगा.” उन्होंने जनता से अपील की कि शिक्षा को प्राथमिकता देने वाले नेताओं का समर्थन करें.