नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में शुरू किए गए ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ अभियान का असर पहले ही दिन दिख गया. 24 घंटे के भीतर 61 हजार से अधिक प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र जारी किए गए. बिना वैध पीयूसी वाले 3,746 वाहनों के चालान काटे गए. बॉर्डर प्वाइंट्स पर जांच बढ़ाई गई और नियमों का पालन न करने वाले वाहनों को वापस लौटाया गया. सरकार का दावा है कि सख्ती से प्रदूषण नियंत्रण को मजबूती मिलेगी.
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर सरकार ने अब सख्त रुख अपना लिया है. ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ अभियान के जरिए सीधे तौर पर वाहन प्रदूषण पर नियंत्रण की कोशिश की जा रही है. अभियान शुरू होते ही बड़ी संख्या में वाहन मालिक पीयूसी बनवाने आगे आए, जिससे प्रशासन को भी सकारात्मक संकेत मिले हैं.
सरकार का मानना है कि सख्ती के साथ जागरूकता जरूरी है. इसी सोच के तहत वाहनों, धूल, कचरा और औद्योगिक प्रदूषण पर एक साथ कार्रवाई की जा रही है. शुरुआती आंकड़े बता रहे हैं कि लोग नियमों को गंभीरता से लेने लगे हैं और स्वच्छ हवा को अपनी जिम्मेदारी मानने लगे हैं.
पर्यावरण विभाग के मुताबिक 17 दिसंबर को 29,938 पीयूसी प्रमाणपत्र जारी किए गए. वहीं 18 दिसंबर को शाम 5.20 बजे तक 31,974 वाहन मालिकों ने पीयूसी बनवाया. इस तरह करीब 24 घंटे में 61 हजार से ज्यादा प्रमाणपत्र जारी होना अपने आप में रिकॉर्ड माना जा रहा है. सरकार इसे अभियान की शुरुआती सफलता के रूप में देख रही है.
अभियान के दौरान बिना वैध पीयूसी के 3,746 वाहनों के चालान किए गए. बॉर्डर प्वाइंट्स पर ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग की टीमों ने करीब 5,000 वाहनों की जांच की. नियमों का पालन न करने वाले 568 वाहनों को दिल्ली में प्रवेश से रोका गया, जबकि 217 ट्रकों को पेरिफेरल एक्सप्रेसवे की ओर मोड़ दिया गया.
पर्यावरण मंत्री ने दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर और जनपथ समेत कई पेट्रोल पंपों का निरीक्षण किया. पंप कर्मचारियों को निर्देश दिए गए कि बिना वैध पीयूसी वाले वाहनों को ईंधन न दिया जाए. साथ ही यह भी कहा गया कि लोगों से शालीनता से बात की जाए, क्योंकि यह चालान से ज्यादा साफ हवा का मामला है.
पिछले 24 घंटे में करीब 2,300 किलोमीटर सड़कों की मैकेनाइज्ड सफाई की गई. मोबाइल एंटी-स्मॉग गन से 5,524 किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया गया. 132 अवैध कचरा डंपिंग प्वाइंट बंद किए गए और लैंडफिल साइट्स पर 38 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा पुराने कचरे का निपटान किया गया.
सरकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई तकनीकों पर भी काम कर रही है. भीड़भाड़ वाले इलाकों में शैवाल आधारित सिस्टम, जीआईएस से निगरानी और एआई से लैस ग्रीन दिल्ली एप लाने की तैयारी है. निजी दफ्तरों से वर्क फ्रॉम होम बढ़ाने की अपील की गई है, ताकि सड़कों पर वाहनों का दबाव कम हो सके.