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Delhi Pollution: दिवाली के बाद दिल्ली की हवा हुई जहरीली, PM2.5 और PM10 ने ली ओजोन की जगह; जानें आज का AQI

Delhi Pollution: दिवाली के बाद दिल्ली की हवा में ओजोन की जगह PM2.5 और PM10 ने ले ली है. पहले आधे अक्टूबर में गैसीय प्रदूषण था, लेकिन पटाखों, वाहनों और उद्योगों के उत्सर्जन से अब कणीय प्रदूषण बढ़ गया है. दिल्ली का AQI अब लगातार 'बहुत खराब' स्तर पर है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है.

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Edited By: Km Jaya
दिल्ली का प्रदूषण
Courtesy: Pinterest

Delhi Pollution: दिल्ली में दिवाली के बाद हवा का जहर और भी खतरनाक हो गया है. अब राजधानी की हवा में ओजोन और कार्बन मोनोऑक्साइड की जगह सूक्ष्म कण यानी PM2.5 और PM10 ने कब्जा कर लिया है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के पहले 19 दिनों में हवा में मुख्य प्रदूषक ओजोन था, जबकि दिवाली के बाद स्थिति पूरी तरह बदल गई है.

अक्टूबर 1 से 19 तक दिल्ली की हवा में ओजोन प्रमुख प्रदूषक रहा. इस दौरान हवा में नमी और हल्की बारिश के कारण प्रदूषण का स्तर अपेक्षाकृत कम था. राजधानी ने इस अवधि में चार दिन 'संतोषजनक' AQI दर्ज किया था. लेकिन 20 अक्टूबर से हालात अचानक बिगड़ने लगे. दिवाली पर पटाखों और धीमी हवाओं ने प्रदूषण को नई ऊंचाई दे दी. अब हवा में PM10 और PM2.5 की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है.

राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक

20 अक्टूबर से अब तक राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार 'बहुत खराब' श्रेणी में बना हुआ है. गुरुवार को यह 305 दर्ज किया गया, जबकि एक दिन पहले यह 353 था. यानी अब दिल्ली की हवा सांस लेने लायक नहीं रह गई है. CPCB के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में जहां AQI 73 था, वहीं अब यह बढ़कर 353 तक पहुंच गया है. यह लगभग 300 अंकों की वृद्धि दर्शाता है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव जलने वाले स्रोतों से उत्सर्जन बढ़ने की वजह से हुआ है, जिनमें मुख्य रूप से पटाखे, वाहन, उद्योग और कचरा जलाना शामिल है.

प्रदूषण के स्रोतों पर नियंत्रण की आवश्यकता

ओजोन एक द्वितीयक प्रदूषक होता है जो सूर्य की रोशनी में नाइट्रोजन ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों की प्रतिक्रिया से बनता है. लेकिन जैसे-जैसे ठंड और स्थिर मौसम बढ़ा, हवा में इन गैसों की जगह धूल और कणीय पदार्थों ने ले ली. CSE की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि यह बदलाव स्वाभाविक है. अक्टूबर के पहले भाग में बारिश और धूप के कारण गैसीय प्रदूषक सक्रिय थे, लेकिन जब मौसम शुष्क और शांत हुआ तो कणीय प्रदूषण बढ़ गया. दिवाली के पटाखों ने इसमें और आग में घी डालने का काम किया. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसी तरह प्रदूषण के स्रोतों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में दिल्ली की हवा 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच सकती है.