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'कांग्रेस का 1984 दंगों से भी ज्यादा घिनौना चेहरा 2025 के दिल्ली चुनाव में देखा', AAP ने बीजेपी से मिलीभगत का क्यों लगाया आरोप?

आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने एक प्रेस वार्ता में कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने खुद जीतने की कोशिश नहीं की बल्कि भारतीय जनता पार्टी को जिताने और आम आदमी पार्टी को हराने के लिए रणनीति बनाई. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने शीर्ष नेतृत्व की सहमति से यह खेल खेला और चुनाव में 44 करोड़ रुपए का नकद चंदा जुटाया, जिसका कोई हिसाब-पता नहीं है.

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Kuldeep Sharma

दिल्ली की राजनीति में 2025 का चुनाव केवल जीत-हार की कहानी नहीं बल्कि कई बड़े सवालों का सबब बन गया है. आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया कि उसने भाजपा को जीताने के लिए खुलकर मैदान तैयार किया.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारद्वाज ने कहा कि यह देश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी पार्टी ने खुद चुनाव न जीतकर प्रतिद्वंद्वी पार्टी को हराने का ठोस फैसला लिया.

कांग्रेस की भूमिका पर गंभीर सवाल

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आमतौर पर चुनावी मौसम में यह चर्चा होती है कि कौन सी पार्टी किसे हराने या जिताने की कोशिश कर रही है. लेकिन दिल्ली के इस चुनाव में स्थिति बिल्कुल अलग दिखी. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने खुद सत्ता हासिल करने की कोशिश नहीं की, बल्कि भाजपा की जीत को आसान बनाने की रणनीति बनाई. उनका कहना था कि कांग्रेस समर्थकों में कई पढ़े-लिखे लोग भी शामिल हैं, जो यह सुनकर असहज हो जाते हैं कि उनकी पार्टी ने चुनाव लड़कर भाजपा को फायदा पहुँचाया.

देवेंद्र यादव के इंटरव्यू का हवाला

भारद्वाज ने कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव के हालिया इंटरव्यू का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें साफ दिखाई देता है कि कांग्रेस ने यह तय किया था कि भाजपा जीत जाए, लेकिन आम आदमी पार्टी को हराना जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था बल्कि कांग्रेस ने सोच-समझकर और नेतृत्व की सहमति से यह निर्णय लिया.

शीर्ष नेतृत्व की भूमिका

सौरभ भारद्वाज ने बड़ा सवाल उठाया कि आखिर कांग्रेस की दिल्ली इकाई ने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे शीर्ष नेताओं को इस रणनीति के लिए कैसे तैयार कर लिया. उनका कहना था कि अक्सर किसी राज्य इकाई की अपनी रणनीति हो सकती है, लेकिन दिल्ली के मामले में उच्च नेतृत्व ने भी साफ छूट दे दी कि आम आदमी पार्टी को किसी भी हाल में जीतने न दिया जाए.

चुनावी रणनीति और चुनिंदा निशाने

भारद्वाज ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने केवल आम आदमी पार्टी के नेताओं को हराने की रणनीति बनाई, लेकिन भाजपा नेताओं पर कोई फोकस नहीं किया. उन्होंने सवाल उठाया कि देवेंद्र यादव ने कभी यह नहीं कहा कि भाजपा के नेता प्रवेश वर्मा या रमेश बिधूड़ी को कैसे हराया जाएगा. इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस का लक्ष्य केवल आम आदमी पार्टी थी, भाजपा नहीं.

चुनावी खर्च और नकद चंदे का रहस्य

प्रेस वार्ता में भारद्वाज ने चुनावी खर्च के आंकड़े भी प्रस्तुत किए. उन्होंने बताया कि आम आदमी पार्टी ने 14 करोड़ रुपए, भाजपा ने 57 करोड़ रुपए और कांग्रेस ने 46 करोड़ रुपए खर्च किए. खास बात यह रही कि कांग्रेस ने दावा किया कि उसे 44 करोड़ रुपए नकद चंदे में मिले. जबकि चुनाव आयोग के नियम के अनुसार 2000 रुपए से अधिक नकद चंदा नहीं लिया जा सकता. भारद्वाज ने सवाल उठाया कि इतने बड़े पैमाने पर नकद चंदा कांग्रेस को कहां से और कैसे मिला, जबकि उसके पास कोई जनसंपर्क अभियान भी नजर नहीं आया.

भाजपा और कांग्रेस की मिलीभगत का आरोप

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी यह मुद्दा नहीं उठाया कि कांग्रेस को इतना बड़ा नकद चंदा कैसे मिला. उन्होंने इसे भाजपा और कांग्रेस की मिलीभगत बताया. भारद्वाज ने कहा कि कांग्रेस को लगता है कि भाजपा की तरह वह भी क्षेत्रीय दलों को किनारे कर सत्ता हथिया लेगी. उन्होंने प्रेस वार्ता का मकसद बताते हुए कहा कि कांग्रेस का असली चेहरा देश की जनता और उसके समर्थकों के सामने लाना जरूरी है.