छत्तीसगढ़: बस्तर में शांति की दस्तक, दंतेवाड़ा में 37 दुर्दांत नक्सलियों ने किया सामूहिक आत्मसमर्पण, 15 महिलाएं भी शामिल

दंतेवाड़ा में नक्सलवाद को बड़ा झटका लगा है, जहां 12 महिलाओं सहित 37 माओवादियों ने हथियार डालकर समर्पण किया. सरकार की पुनर्वास नीति, पुलिस दबाव और विकास कार्यों से प्रेरित यह कदम बस्तर में शांति की नई उम्मीद जगाता है.

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Gyanendra Sharma

रायपुर: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले ने शनिवार को नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव का क्षण देखा. लंबे समय से जंगलों में सक्रिय 37 सक्रिय और वांछित माओवादी साथियों ने सुरक्षा बलों के सामने हथियार डाल दिए. इनमें 12 महिला नक्सली भी शामिल हैं. पुलिस का कहना है कि यह क्षेत्र में नक्सल नेटवर्क के लिए अब तक का सबसे बड़ा और प्रभावी झटका है.

कई सालों से जंगलों में सक्रिय, कई पर था बड़ा इनाम

समर्पण करने वाले ये सभी माओवादी बीते कई वर्षों से पुलिस और सुरक्षा बलों को चुनौती देते रहे थे. इन पर 1 लाख से लेकर 5 लाख रुपए तक के इनाम घोषित थे. कुछ नक्सली बड़े दस्ता कमांडरों के सुरक्षा दस्ते और महत्वपूर्ण भूमिकाओं में शामिल रहे थे. पुलिस के अनुसार लगातार बढ़ते दबाव, सर्च ऑपरेशन, और ग्रामीणों के बदलते रुख ने इन सभी को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया.

दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक गौरव राय ने जानकारी दी कि सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और ग्रामीणों के सहयोग ने यह बड़ी सफलता दिलाई. उन्होंने बताया कि जंगल में अब नक्सलियों की गतिविधियां टिक नहीं पा रही हैं. ग्रामीण खुलकर सुरक्षा बलों का साथ दे रहे हैं और नक्सलियों पर दबाव बढ़ गया है.

सरकार की पुनर्वास नीति बनी आत्मसमर्पण की सबसे बड़ी वजह

सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने स्पष्ट कहा कि सरकार की नई पुनर्वास नीति बेहद प्रभावी और भरोसेमंद साबित हुई. इस नीति में शामिल हैं, आत्मसमर्पण करते ही ₹10,000 की तात्कालिक सहायता, कुल ₹4.5 लाख तक की प्रोत्साहन राशि, घर बनाने के लिए ₹3 लाख की सहायता रोजगार, प्रशिक्षण और सुरक्षा की विशेष व्यवस्था. 

महिला नक्सलियों को भी सभी लाभों का समान रूप से प्रदान किया गया है. एक महिला नक्सली ने कहा कि हम डरते थे कि समर्पण करेंगे तो नुकसान होगा, लेकिन यहां सम्मान मिला. अब हम अपने बच्चों को सुरक्षित भविष्य देना चाहते हैं.

पुलिस की रणनीति और विकास कार्यों ने बदला माहौल

पिछले कुछ महीनों से सुरक्षा बलों ने सघन सर्च ऑपरेशन, ड्रोन निगरानी और सटीक इंटेलिजेंस के माध्यम से नक्सल नेटवर्क पर लगातार दबाव बनाए रखा. साथ ही प्रशासन ने गांव-गांव पहुंचकर नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया.

मुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने किया स्वागत, कहा- बस्तर बदल रहा है

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और गृह मंत्री विजय शर्मा ने सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों का स्वागत किया और आश्वासन दिया कि जो भी व्यक्ति हिंसा छोड़कर आगे बढ़ना चाहता है, उसका सम्मानपूर्वक पुनर्वास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दंतेवाड़ा की यह घटना बस्तर क्षेत्र में शांति और विकास की ओर बढ़ते कदमों का संकेत है. आने वाले दिनों में और नक्सली भी मुख्यधारा से जुड़ सकते हैं.

क्षेत्र में शांति के नए अध्याय की शुरुआत

दंतेवाड़ा में हुए इस सामूहिक आत्मसमर्पण को नक्सलवाद के खिलाफ एक निर्णायक सफलता माना जा रहा है. स्थानीय लोगों और प्रशासन दोनों को उम्मीद है कि बस्तर में स्थायी शांति और विकास का रास्ता अब और अधिक स्पष्ट होगा.